नई दिल्ली : महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बुधवार को देश को बाल विवाह से मुक्त करने के उद्देश्य से ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि बीते एक साल में लगभग 2 लाख बाल विवाह को रोका गया है।
बाल विवाह: गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन
मंत्री ने कहा, “आज हमारे देश में हर पांच में से एक लड़की की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है। बाल विवाह न केवल एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है बल्कि यह कानूनन अपराध भी है।” उन्होंने बाल विवाह को खत्म करने की दिशा में भारत की प्रगति को रेखांकित किया और कहा कि भारत ने दक्षिण एशिया में बाल विवाह दर में वैश्विक गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार, 2019-21 में देश में बाल विवाह की दर 23.3% थी, जो 2015-16 में 26.8% और 2005-06 में 47.4% थी।
2029 तक 5% से नीचे लाने का लक्ष्य
मंत्री ने राज्यों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी योजनाएं बनाएं, जो बाल विवाह की दर को 2029 तक 5% से नीचे लाने में योगदान दे सकें।
‘चाइल्ड मैरिज फ्री भारत पोर्टल’ का लॉन्च
अभियान के तहत, मंत्री ने ‘चाइल्ड मैरिज फ्री भारत पोर्टल’ लॉन्च किया, जहां लोग बाल विवाह से संबंधित शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। ये शिकायतें सीधे संबंधित बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) के पास पहुंचेंगी। सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे पोर्टल पर अपने अधिकारियों का पंजीकरण कराएं ताकि मामलों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग हो सके।
विशेष फोकस क्षेत्रों पर जोर
अभियान में सात उच्च भार वाले राज्यों— पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम और आंध्र प्रदेश— और 300 जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
एक सतत अभियान
मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह अभियान एक बार की कोशिश नहीं है, बल्कि बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने का एक सतत प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बाल विवाह से निपटने के लिए ‘समाज और सरकार की समग्र भागीदारी’ की आवश्यकता है।
बाल विवाह को खत्म करने और लड़कियों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006’ के सख्त कार्यान्वयन को इस अभियान का आधार बनाया गया है।
भारत की वैश्विक उपलब्धि
मंत्री ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में बाल विवाह दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है, और इसमें भारत की भूमिका सबसे अहम रही है।” इस अभियान का उद्देश्य न केवल बाल विवाह को खत्म करना है, बल्कि समाज में इसके खिलाफ एक सांस्कृतिक बदलाव लाना भी है।