अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)-दिल्ली में मरीजों का पंजीकरण और नमूना लेने की ऑनलाइन प्रक्रिया बीते 23 नवंबर से प्रक्रिया ठप है. ऐसे में मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच सर्वर में गड़बड़ी की समस्या को ठीक करने की कोशिश में जुटे खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि हैकर्स एन्क्रिप्ट किए गए महत्वपूर्ण डेटा को डिक्रिप्ट करने के लिए फिरौती की मांग करेंगे और इसलिए एम्स के सर्वर पर साइबर हमला किया गया था.
सूत्रों ने कहा कि कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग पर अब तक कोई और चर्चा नहीं हुई है. अस्पताल के अधिकारियों ने बैक-अप डेटा से काम करना शुरू कर दिया है. इस बीच, एनआईसी ई-हॉस्पिटल डेटाबेस और ई-हॉस्पिटल के लिए एप्लिकेशन सर्वर बहाल कर दिए गए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआईसी टीम एम्स में स्थित अन्य ई-हॉस्पिटल सर्वरों से संक्रमण को स्कैन और साफ कर रही है, जो अस्पताल सेवाओं के वितरण के लिए जरूरी हैं. बता दें कि ई-हॉस्पिटल सेवाओं को बहाल करने के लिए व्यवस्थित किए गए चार भौतिक सर्वरों को स्कैन करके डेटाबेस और एप्लिकेशन के लिए तैयार किया गया है.
साथ ही एम्स के नेटवर्क सैनिटाइजेशन का काम चल रहा है. सर्वर और कंप्यूटर के लिए एंटीवायरस सॉल्यूशन की व्यवस्था की गई हैं. यह एंटीवायरस अब तक 5,000 में से लगभग 1,200 कंप्यूटरों पर स्थापित किया गया है. सूत्र ने कहा कि 50 में से 20 सर्वरों को स्कैन किया गया है और यह गतिविधि 24×7 चल रही है.