अब्बास अंसारी की विधायकी पर लटकी तलवार, हेट स्पीच मामले में सजा बरकरार

मऊ। पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को मऊ की अदालत से राहत नहीं मिल सकी है। हेट स्पीच मामले में दोषी करार दिए जा चुके अब्बास अंसारी की दो साल की सजा के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हालांकि उन्हें कोर्ट से जमानत जरूर मिल गई है, लेकिन सजा बरकरार रहने के चलते उनकी विधायकी बहाल नहीं हो पाएगी। अदालत ने साफ किया है कि निचली अदालत का निर्णय विधिसम्मत है और उसमें हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता। इस फैसले के बाद अब्बास अंसारी को उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ सकता है।

अब्बास ने तीन याचिकाएं की थी दाखिल

अब्बास अंसारी की ओर से अदालत में तीन अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इनमें प्रमुख रूप से सजा को रद्द करने, दोषसिद्धि पर रोक लगाने और व्यक्तिगत जमानत की मांग की गई थी। अदालत ने सजा रद्द करने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया आरोपी को दोषी ठहराने में कोई त्रुटि नहीं है। हालांकि व्यक्तिगत जमानत की अर्जी को मंजूर करते हुए कोर्ट ने उन्हें राहत दी है। लेकिन दोषसिद्धि बरकरार रहने की वजह से उनकी विधायकी अभी भी बहाल नहीं हो सकेगी।

क्या था मामला?

अब्बास अंसारी पर विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ भाषण देने (हेट स्पीच) का आरोप था। उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। निचली अदालत ने सुनवाई के बाद उन्हें दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसी के खिलाफ अब्बास ने मऊ कोर्ट में याचिका दायर की थी।

विधायकी पर संकट बरकरार

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा पाए जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। हालांकि इसके विरुद्ध ऊपरी अदालत से राहत मिलने पर ही सदस्यता बहाल हो सकती है। चूंकि अब्बास अंसारी को अभी तक उच्च न्यायालय से कोई स्थगन नहीं मिला है, ऐसे में उनकी विधायकी पर खतरा बरकरार है।

जानकारी के अनुसार, अब्बास अंसारी इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं। यदि वहां से उन्हें सजा पर स्टे मिल जाता है, तभी उनकी सदस्यता बहाल होने की संभावना बन सकती है।

सियासी हलकों में हलचल

कोर्ट के इस फैसले के बाद मऊ समेत पूरे पूर्वांचल में राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस मामले को लेकर कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।

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