लोगों के लिए उम्मीद की किरण बना अडानी समूह, बिपरजॉय से मची तबाही के बाद युद्ध स्तर पर राहत-बचाव अभियान जारी

राहत और सुरक्षा प्रदान करने के इस अभियान के क्रम में अडानी फाउंडेशन की ओर से एक दिन में 12,500+ भोजन के पैकेट लगातार, 5 दिनों तक वितरित किए गए. इसके अलावा बच्चों को खाने के पैकेट, ड्राइंग बुक और चॉकलेट के लगभग 30,000 बैग बांटे गए.

बीते दिनों बिपरजॉय तूफान ने भारत के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई. भारी संख्या में लोग बेघर हो गए. इस त्रासदी के बीच अडानी समूह उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है. अडानी समूह की सीएसआर शाखा, अडानी फाउंडेशन ने इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राहत और सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आपदाग्रस्त लोगों तक आवश्यक खाद्य सामग्री मुहैया हो सके, इसके लिए अडानी फाउंडेशन की सीएसआर शाखा के वालंटियर लगातार जुटे हुए हैं.

राहत और सुरक्षा प्रदान करने के इस अभियान के क्रम में अडानी फाउंडेशन की ओर से एक दिन में 12,500+ भोजन के पैकेट लगातार, 5 दिनों तक वितरित किए गए. इसके अलावा बच्चों को खाने के पैकेट, ड्राइंग बुक और चॉकलेट के लगभग 30,000 बैग बांटे गए. लोगों को चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करने के लिए भी अडानी समूह की ओर से सराहनीय काम किया गया. 400+ ओपीडी के माध्यम से रोगियों को चिकित्सा निदान और उपचार प्रदान किया गया.

बिपरजॉय तूफान की वजह से अस्त-व्यस्त हुए जन जीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिहाज से गिरे पेड़ों और मलबे को हटाने में अडानी फाउंडेशन की सीएसआर शाखा जेसीबी मशीनों द्वारा 60 से ज्यादा गांव की मदद कर रही है. इस तरह से अडानी फाउंडेशन चक्रवात के दौरान 20,000 लोगों तक अपनी सेवाओ को पहुंचाने में सफल हुआ है.

चक्रवात बिपरजॉय से हुई तबाही के बाद कच्छ में अडानी फाउंडेशन द्वारा युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान चलाया जा रहा है. आश्रय गृहों में सभी को भोजन के पैकेट और चिकित्सा उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है. इतना ही नहीं महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड और पशुओं के चारे सहित अन्य व्यवस्था की गई है. अडानी अस्पताल की मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट और डॉक्टर हाई अलर्ट पर रख दी गई थी और हजारो लोगोको चिकित्सिकी सेवाएं प्राप्त हुई.

मुंदरा के नाना कपया और जरपरा गांव के स्कूल वल्लभ विद्यालय और अहिंसाधाम में आवश्यक सुविधाओं से लैस आश्रयों की व्यवस्था की गई. आश्रयों स्थानों को एक दिन में 12,500+ भोजन के पैकेट लगातार 5 दिनों तक वितरित किए गए हैं. प्रशासन के समन्वय से तटीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करके उन्हें शेल्टर होम रखा गया. 22 ग्राम पंचायतों को आवश्यक पीपीई किट सहित चिकित्सा सहायता प्रदान की गई.

मुंदरा के नाना कपया और जरपरा गांव के स्कूल वल्लभ विद्यालय और अहिंसाधाम में आवश्यक सुविधाओं से लैस आश्रयों की व्यवस्था की गई. आश्रयों स्थानों को एक दिन में 12,500+ भोजन के पैकेट लगातार 5 दिनों तक वितरित किए गए हैं. प्रशासन के समन्वय से तटीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करके उन्हें शेल्टर होम रखा गया. 22 ग्राम पंचायतों को आवश्यक पीपीई किट सहित चिकित्सा सहायता प्रदान की गई.

प्रभावितों के शारीरिक व मानसिक उपचार के लिए फाउंडेशन की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. 400+ ओपीडी के माध्यम से रोगियों को चिकित्सा निदान और उपचार प्रदान किया जा रहा है. विस्थापितों के घरों को तबाह करने वाले चक्रवाती तूफान की आशंका को दूर करने के लिए काउंसलिंग की जा रही है. सभी गावो में महिलाओं और बच्चों को बिस्तर और गद्दे बांटे गए हैं.

दूरस्थ क्षेत्रों में आपूर्ति की कमी के दौरान, आरआरडब्ल्यूएचएस को ‘आवाज दे’ की सुविधा के माध्यम से टैंकों में पानी जमा करने और पशुओं की रक्षा करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है. फाउंडेशन की टीम ने गांवों में पशुओं के लिए चारे की आपूर्ति की भी तत्काल व्यवस्था की है. मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वयंसेवी संस्था द्वारा तैयार किशोरियों व महिलाओं को सैनिटरी पैड वितरित किए जा रहे हैं.

फाउंडेशन के पास उन किसानों के लिए गहरी भावनाएं हैं जो पशुधन और मशीनरी के नुकसान का सामना कर रहे हैं. भारी मात्रा में गिरे पेड़ों और मलबे को हटाने में जेसीबी मशीनों द्वारा 60 से ज्यादा गांव की मदद की जा रही है. आपदा की इस घड़ी में फाउंडेशन की टीम जरूरतमंदों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है.

आवाज़ डे द्वारा तट के किनारे रहने वाले मछुआरों को चेतावनी देने के लिए समय पर संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं. अब तक 10,000 से अधिक लोगों को आपदा की तैयारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सफलतापूर्वक प्रदान की जा चुकी है.

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