बीजेपी  की सपा प्रमुख अखिलेश को कन्नौज में घेरने की रणनीति, क्या है भाजपा की रणनीति?

सीएम योगी ने वोट जिहाद पर इंडी गठबंधन पर घेरा.जबकि लोकसभा के तीसरे चरण के बाद कई अन्य स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम भी लगना तय माना जा रहा है.

भाजपा ने अखिलेश को कन्नौज में घेरने की रणनीति तैयार कर ली है. जल्द ही भाजपा नेताओं, स्टार प्रचारकों, क्षत्रपों की बड़ी फौज कन्नौज लोकसभा में डेरा डालेंगी. प्रदेश भाजपा  के अपनी जाति पर  बड़ा रसूख रखने वाले नेता भी जल्द क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक के लिए वोट मांगेंगे. मौसम के बढ़ते तापमान के साथ चुनावी सरगर्मियां भी बढ़नी शुरू हो गई है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मैदान में उतरने के बाद अब इस सीट पर समूचे देश की निगाहें टिकी हुई है. सपा जहां अपनी खोई जमीन पाने की फिराक में है. वहीं भाजपा भी अब इस सीट को पुनः हथियाने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गई है. इसी कड़ी में चार मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बिधूना में  जनसभा का कार्यक्रम महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

सीएम योगी ने वोट जिहाद पर इंडी गठबंधन पर घेरा.जबकि लोकसभा के तीसरे चरण के बाद कई अन्य स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम भी लगना तय माना जा रहा है.चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि भले ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस सीट पर स्वयं चुनाव लड रहे हों लेकिन पनघट की डगर इतनी आसान भी नहीं है.अपने इस तर्क को वह कुछ इस तरह बयां भी करते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव से लगभग बीस हजार मतों के मामूली अंतर से पराजित हुए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को लगभग साढ़े तेरह हजार वोट से पराजित करके सपा के गढ़ में जबरदस्त सेंधमारी की और हार का बदला ले लिया . उस समय सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल का बहुत मजबूत गठबंधन था . जबकि इसके उलट आज परिस्थितियां यह हैं कि  बसपा ने मुस्लिम समाज के  इमरान  बिन जफर को प्रत्याशी बनाकर चुनावी  मैदान में उतारा है.

बताया जाता है कि पिछली बार सपा बसपा गठबंधन के चलते भारी संख्या में दलितों के वोट सपा को मिले थे. कई बूथों पर तो भाजपा का खाता तक नहीं खुला था. उधर भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने भी यह कहकर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की कि अब मजा आयेगा जब भारत पाकिस्तान का मैच होगा और हर कीमत पर जीत भारत की ही होगी.विगत चुनाव के सापेक्ष दलित मुस्लिम वोट का बिखराव और अति पिछड़े अति दलित,व लाभार्थी वर्ग का भाजपा से जुड़ने की संभावना भी भाजपा को मजबूती प्रदान कर सकता है। 

हालांकि कुछ भितरघातियों की करतूत भाजपा के जीत के आत्मविश्वास को कहीं न कहीं कमजोर कर रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है। भाजपा इन भितरघातियों से कैसे पार पाती है, यह तो भाजपा के रणनीतिकार ही जाने, लेकिन इसका चुनाव पर कुछ न कुछ असर तो पड़ेगा ही इसमें भी कोई दो राय नहीं है। 

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव मैदान में उतरने से सपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल तो बढ़ा है. लेकिन सपा के लोग भी  मानकर चल रहे हैं कि सपा बसपा का गठबंधन न होने से मुकाबला इस बार कांटे का होगा। भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक द्वारा मोबाइल पर भाजपा के पाल समाज के एक नेता को धमकाने का ऑडियो वायरल होने से भाजपा को नुकसान होने की संभावना है. इसके अलावा भाजपा प्रत्याशी का एक अन्य वीडियो का वायरल होना जिसमें वह कह रहे है वोटों को हमने खरीदा था . इस वीडियो से लोधी समाज के मतों में नाराजगी की खबरें आ रही है. 

सपा प्रमुख के नजदीक रहने वाले सपा नेता  अखिलेश की बड़ी जीत का दावा कर रहे है.सपाइयों की नजर  कुछ नाराज क्षत्रिय भाजपा संगठन के नेताओं पर भी है. इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा क्षत्रिय बाहुल्य क्षेत्र विधूना में बीते 4 तारीख को आयोजित  की गई.  उधर इटावा कन्नौज लोकसभा सीमा पर सरैया में आज पांच तारीख को पीएम मोदी की जनसभा भी आयोजित की गई . पीएम मोदी ने कहा भाजपा प्रत्याशियों को वोट देना उन्हे वोट देना है. उन्होंने कहा कि एक चाय वाले ने शाही परिवार के पीएम, सीएम बनने की कुप्रथा को तोड़ दिया है.

लेखक – मुनीष त्रिपाठी,पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार है।

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