Chhath Puja: छठ महापर्व का तीसरा दिन आज, व्रती महिलाएं देंगी सूर्यदेव को अर्घ, जाने सूर्यास्त का समय !

छठ महापर्व की पूजा का आज तीसरा दिन हैं। इस दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। खरना के बाद आज के दिन डूबते हुए सूर्य को ...

छठ महापर्व की पूजा का आज तीसरा दिन हैं। इस दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। खरना के बाद आज के दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक आज सूर्यास्त का समय 5.34 बजे हैं। इस समय ही व्रती महिलाएं सूर्यदेव को अर्घ देंगी। पूजा के लिए ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि बना कर लाते हैं।

बतादें कि छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है। टोकरी में पूजा के प्रसाद, फल, फूल सजाए जाते हैं। एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध,जल चढ़ाया जाता है। उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है। घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाये जाते हैं।

प्रकृति और सूर्योपासना का ये महाव्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि देने वाला होता है। रोग निवारण और स्वास्थ्य समृद्धि को लेकर इसका विशेष महत्त्व है. वास्तव में खरना वाले दिन से ही लोग प्रकृति प्रदत्त संशाधनों पर आधारित हो 36 घंटे के सबसे कठिनतम व्रत के नियमों का पालन करते हैं। लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाना, लहसुन प्याज का सेवन ना करना आदि।

महाप्रसाद के तौर पर गाय के दूध में बनी खीर, गुड़ और आटे से तैयार होने वाला मिष्ठान (स्थानीय भाषा में ठेकुआ), चिवड़ा आदि तैयार किया जाता है। इसके साथ पूजा अनुष्ठान की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। छठी मैया से मांगी मनोकामना अगर पूर्ण हो गई है तो आपको अपनी मनोकामना को पूरा होने की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।

वैदिक आर्य संस्कृति कि छठ पूजा में झलक देखने को मिलती है. ये पर्व मुख्य: रुप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, ऊषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। वहीं सूर्य भगवान को जिस बर्तन से अर्ध्य देते हैं, वो चांदी, स्टेनलेस स्टील, ग्लास या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए।

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