शिरोमणि अकाली दल डेलिगेशन ने CM योगी से की मुलाकात, सिख समुदाय को लेकर रखी ये मांगें…

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को यह भी अवगत कराया कि 2014 में सहारनपुर के एक गुरुद्वारे की जमीन को लेकर में दो समुदायों के बीच झड़प से संबंधित कुछ मामले अभी भी अनसुलझे हैं, जिनके प्रमुख सदस्यों के बीच मध्यस्ता की जाने के बाद यह तय किया गया था कि दोनों समुदायो के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ दर्ज केस वापिस ले लेंगें.

शनिवार को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सरदार सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अकाली दल-शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रतिनिधिमंडल ने सिख समुदाय की समस्याओं को मुख्यमंत्री के ध्यान में लाने के लिए उनके साथ मीटिंग की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिख समुदाय के सभी लंबित मुददों का समाधान करने का आश्वासन दिया. उन्होंने किसी भी सिख किसान को पीड़ित नही होने और 2014 में सहारनपुर में गुरुद्वारा स्थल पर हुई झड़प के संबध में सिखों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापिस लिए जाने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी सिख किसान को पीड़ित नही होने दिया जाएगा.

अकाली दल के वरिष्ट नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. मीटिंग के बारे पत्रकारों को जानकारी देते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि ये बैठक बहुत ही सकारात्मक माहौल में हुई, जिसमें विभिन्न विभागों के संबंधित अधिकारियों को भी मुख्यमंत्री ने बुलाया ताकि मौके पर ही सिखों की भलाई से संबंधित सभी मुददों के बारे सीधी प्रतिक्रिया मिल सके.

सरदार बादल ने लंबित मामलों को हल करने के लिए विशेष रूचि लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह उत्तर प्रदेश में सिख समुदाय के मनोबल को बढ़ाने का काम करेगा. वहीं इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए सरदार बादल ने आगे कहा कि हालांकि योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप से 2020 में अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर 2020 में सिखों द्वारा खेती की जा रही जमीन से सिखों के विस्थापन को रोका गया था, लेकिन कुछ मामलों में सिख किसानों को फिर से बेदखली के नोटिस जारी किए गए थे.

मुख्यमंत्री ने धैर्यपूर्वक सुनने के बाद घोषणा की कि वह उत्तर प्रदेश में किसी भी सिख किसान यां पंजाबी को पीड़ित नही होने देंगें. उन्होने अकाली दल अध्यक्ष की इस बात से सहमति जताई कि सिख किसानों ने उस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए खून-पसीना एक कर मेहनत की थी. मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख से सभी मामलों की जांच करने के लिए कहा ताकि उन्हे सौहार्द्रपूर्ण ढ़ंग से हल किया जा सके. इन मामलों में मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ सर्कल में सिख किसानों को बेदखली नोटिस जारी करना शामिल है.

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को यह भी अवगत कराया कि 2014 में सहारनपुर के एक गुरुद्वारे की जमीन को लेकर में दो समुदायों के बीच झड़प से संबंधित कुछ मामले अभी भी अनसुलझे हैं, जिनके प्रमुख सदस्यों के बीच मध्यस्ता की जाने के बाद यह तय किया गया था कि दोनों समुदायो के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ दर्ज केस वापिस ले लेंगें.

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस संबंध में कुछ मामले वापिस ले लिए गए और कुछ मामले बने रहे. वहीं इस मुददे का समाधान करने के लिए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताई. प्रतिनिधिमंडल ने सीएम योगी को साल 1991 के पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ के बारे में भी अवगत कराया, जिसमें पीएसी पुलिस कर्मियों द्वारा तीर्थयात्रियों की बस को रोकने और पुरूष सदस्यों को उनके परिवारों से अलग कर उन्हे कथित ‘मुठभेड़’ में मार दिया गया था.

इस मामले को लेकर अभी हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 43 पीएसी कर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सिख समुदाय ने महसूस किया कि इस मामले में कड़ी सजा दी जानी चाहिए क्योंकि निर्दोष लोगों को आंतकवादी कहकर मारा गया था. डेलीगेशन ने यूपी सरकार से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का आग्रह किया जिसपर सीएम योगी ने मामले को सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और न्याय सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया.

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