दिल्ली का चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा, अगर लगे की हमने काम किया तो ही वोट करना

मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने रविवार को जंतर मंतर पर आयोजित ‘जनता की अदालत’ में दिल्ली की जनता से सीधा संवाद किया।

मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने रविवार को जंतर मंतर पर आयोजित ‘जनता की अदालत’ में दिल्ली की जनता से सीधा संवाद किया। उन्होंने दिल्लीवालों से कहा कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा है, अगर आपको लगता है कि हमने काम किया है और केजरीवाल ईमानदार है, तभी झाड़ू का बटन दबाना। उन्होंने कहा कि यह लोग मोटी चमड़ी के हैं। इनको भ्रष्टाचार का आरोप लगने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जब ये लोग मुझे भ्रष्टाचारी और चोर कहते हैं तो मुझे बहुत फर्क पड़ता है और मैं इस दाग के साथ जिंदा नहीं रह सकता। इसलिए मैंने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया, क्योंकि कोर्ट में यह केस 10-15 साल चलेगा। केजरीवाल ने कहा कि मैं 10 साल दिल्ली का मुख्यमंत्री रहा, लेकिन मेरे पास रहने के लिए एक घर नहीं हैं। फिर भी मैं नवरात्र के बाद सीएम आवास छोड़ दूंगा और आपके बीच में रहूंगा।

हमने अपने पहले ही चुनाव में साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े और जीते जा सकते हैं- केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर ‘जनता की अदालत’ को संबोधित करते हुए कहा कि जंतर-मंतर पर आकर पुराने दिन याद आ गए। 4 अप्रैल 2011 का दिन था, जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी सबसे बड़ा अन्ना आंदोलन जंतर-मंतर से शुरू हुआ था। डेढ़-दो साल तक कभी जंतर-मंतर, तो कभी रामलीला मैदान पर धरने दिए। उस वक्त की सरकार भी बड़ी अहंकारी थी, उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। उसने हमें चैलेंज किया कि चुनाव लड़कर और जीत कर दिखाओ। हम छोटे लोग थे। हमें चुनाव लड़ना नहीं आता था। चुनाव लड़ने के लिए पैसे, गुंडे और आदमी चाहिए। हमारे पास न पैसा था, न आदमी थे और न गुंडे थे। हम चुनाव कैसे लड़ते? लेकिन वो बार-बार कहते थे कि चुनाव लड़कर दिखाओ। हम चुनाव लड़ लिए और जनता ने हमें जिता दिया। पहली बार में ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। उन्होंने कहा कि 2013 में चुनाव हुए थे। हमने देश में यह साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े और जीते जा सकते हैं। जब हम उन दिनों चुनाव लड़े थे, तो बाकी पार्टी वाले कहते थे कि इनकी जमानत जब्त हो जाएगी। चाहे केजरीवाल की जमानत बच जाए। पहली बार में ही दिल्ली में हमारी 49 दिन की सरकार बन गई थी। हम ईमानदारी से चुनाव लड़े थे। हमारे पास कोई पैसा या आदमी नहीं था।

जब मोदी जी को लगा कि वह ईमानदारी से हमसे नहीं जीत पाएंगे तो हमें बेइमान साबित करने के लिए षड़यंत्र रचा- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 10 साल से हम दिल्ली में ईमानदारी से सरकार चला रहे थे। ईमानदारी से सरकार के पैसे बचा रहे थे। हमने जनता को ऐसी-ऐसी सुविधाएं दीं, जो कोई सोच भी नहीं सकता। 24 घंटे और फ्री बिजली कर दी, पानी फ्री कर दिया। महिलाओं के लिए बसों का किराया मुफ्त कर दिया। बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा मुफ्त कर दी। शानदार अस्पताल और मोहल्ला क्लीनिक बना दिए। लोगों का इलाज मुफ्त कर दिया। शानदार स्कूल बना दिए, बच्चों की शिक्षा शानदार कर दी और उन्हें अच्छा भविष्य दे दिया। 10 साल ईमानदारी से काम किया। लेकिन मोदी जी को लगने लगा कि अगर इनसे जीतना है तो इनकी ईमानदारी पर चोट करो। इनको बेईमान साबित करो। तो प्रधानमंत्री मोदी ने एक षड्यंत्र रचा। उन्होंने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी को बेईमान साबित करने के लिए षड्यंत्र रचा और एक-एक कर हमारे सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया। अब हम जेल से बाहर आ गए और जेल से बाहर आने के बाद मैंने इस्तीफा दे दिया।

मैं भ्रष्टाचार करने के लिए नहीं, बल्कि देश की राजनीति बदलने के लिए आया था- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आपके मन में चल रहा होगा कि केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया? मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मैं भ्रष्टाचार करने के लिए राजनीति में नहीं आया था। मुझे सत्ता की लालच या उसकी भूख नहीं है। मुझे सीएम की कुर्सी की भूख नहीं है, मैं पैसे कमाने नहीं आया। पैसे कमाने होते तो मैं इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी करता था। उस नौकरी में करोड़ों रुपए कमा सकता था। मुझे पैसा नहीं कमाना। हम इस देश और अपनी भारत माता के लिए आए थे। इस देश की राजनीति बदलने के लिए आए थे। लेकिन इन नेताओं को फर्क नहीं पड़ता। इनकी मोटी चमड़ी है। इन नेताओं के ऊपर जितने आरोप लग जाएं, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं नेता नहीं हूं। मेरी मोटी चमड़ी नहीं है। मुझे फर्क पड़ता है। जब भाजपा वाले मुझ पर कीचड़ फेंकते हैं, मुझे चोर कहते हैं, भ्रष्टाचारी कहते हैं, मुझे गाली देते हैं तो मुझे फर्क पड़ता है।

मैंने अपनी जिंदगी में केवल इज्जत और ईमानदारी कमाई है, इसलिए भ्रष्टाचार का आरोप लगने से मैं दुखी हूं- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मैं बहुत दुखी हूं। मेरी आत्मा पीड़ित है। मैं अंदर से बहुत दुखी हूं और इसलिए मैंने इस्तीफा दिया। मैंने अपनी जिंदगी में केवल इज्जत और ईमानदारी कमाई है। मेरे बैंक में कोई पैसा नहीं है। मेरी पार्टी के बैंक में कोई पैसा नहीं है। आज 10 साल के बाद जब मैंने इस्तीफा दिया है, थोड़े दिन में मैं सीएम का बंगला छोड़ दूंगा। आज दिल्ली में रहने के लिए मेरे पास अपना घर भी नहीं है। मुझे कई लोग कहते हैं कि तू कैसा आदमी है, 10 साल राजनीति की, 10 साल सीएम रह गया। 10 साल में तो 10 कोठियां बन जातीं। 10 घर और प्लॉट बन जाते। 10 साल के अंदर मैंने कुछ नहीं कमाया, केवल आपका आशीर्वाद कमाया है। इसी प्यार का नतीजा है कि अब जब मैं घर छोड़ रहा हूं तो मेरे पास इतने लोगों के फोन और मैसेज आ रहे हैं कि आप मेरे घर ले लो, मैं किराया नहीं लूंगा। मैं आप सभी लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं। अभी श्राद्ध चल रहे हैं। श्राद्ध खत्म होते ही जैसे नवरात्र शुरू होंगे, मैं सीएम आवास छोड़ दूंगा और आपमें से ही किसी के घर आकर मैं रहना शुरू कर दूंगा।

मोदी जी ने हमारे ऊपर पीएमएलए लगाया, जिसमें बेल नहीं मिलती है, लेकिन कोर्ट ने सबको बेल दे दी- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी ने हमारे ऊपर पीएमएलए का सबसे कठोर कानून लगाया, जिसमें बेल भी नहीं मिलती है। लेकिन केस फर्जी था। मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करता हूं, उन्होंने हम सबको बेल दे दी। क्योंकि उन्हें भी पता था कि इस केस में कुछ नहीं है, ये बेकार है। जब मैं जेल से बाहर आया तो मैंने मन में सोचा था कि जब तक कोर्ट मुझे बाइज्जत बरी नहीं कर देता, मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। लेकिन मुझे वकीलों ने बताया कि ये केस अभी 10-15 साल चलेगा। इस केस का कोई भरोसा नहीं है, ये बहुत लंबा चलेगा। इसलिए मैंने तय किया कि मैं अपनी जनता की अदालत में जाऊंगा। मैं जनता से पूछूंगा। जनता मुझे बताएगी कि मैं ईमानदार हूं या बेईमान हूं। मैं इस दाग के साथ नहीं जी सकता। दाग के साथ काम करना तो दूर की बात है, मैं इस दाग के साथ जिंदा भी नहीं रह सकता।

अगर मैं बेइमान होता तो बिजली और महिलाओं की बस यात्रा फ्री नहीं करता और ना ही स्कूल- अस्पताल बनवाता- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर मैं बेईमान होता तो क्या मैं दिल्ली में बिजली फ्री कर सकता था? दिल्ली में बिजली फ्री करने के लिए 3 हजार करोड़ रुपए लगते हैं। अगर मैं बेईमान होता तो ये तीन हजार करोड़ रुपए खा जाता। बिजली फ्री करने की क्या जरूरत थी? अगर मैं बेईमान होता तो क्या महिलाओं का बस किराया मुफ्त करता? मैं चाहता तो सारे पैसे खा जाता। अगर मैं बेईमान होता तो क्या आपके बच्चों के लिए स्कूल बनवाता? अगर मैं बेईमान होता तो क्या आपका इलाज मुफ्त करता? सारे पैसे खा जाता। इन लोगों की 22 राज्यों में सरकार है। लेकिन कहीं बिजली फ्री नहीं है। कहीं महिलाओं की बस यात्रा मुफ्त नहीं है, तो चोर कौन है? आज मैं आपके बीच में आपसे पूछने के लिए आया हूं कि केजरीवाल चोर है या केजरीवाल को जेल भेजने वाले चोर हैं?

मोदी जी ने मनीष सिसोदिया को दो साल जेल में रखा, अगर वह बाहर होते तो न जाने कितने स्कूल बनते, कितने बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। जिनके पास पैसा है वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज देते हैं। जिनके पास पैसा नहीं है, वो मजबूरी में सरकारी स्कूलों में भेजते हैं। इस देश की हर सरकार ने 75 साल में इस देश के सरकारी स्कूल का बेड़ा गर्क कर दिया। लेकिन ऊपरवाले की कृपा से इस देश को एक मनीष सिसोदिया मिला। 75 साल के बाद इस देश में एक ऐसा शख्स आया, जिसने गरीब के बच्चों को भविष्य की एक उम्मीद दी। एक रिक्शेवाले, मजदूर और किसान को कोई उम्मीद ही नहीं बची थी कि उसका बच्चा भी बड़े होकर कुछ बन सकता है। आज उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर मनीष सिसोदिया ने उन्हें उम्मीद दी है। ऐसे मनीष सिसोदिया को प्रधानमंत्री मोदी ने दो साल जेल में रखा। मनीष सिसोदिया की जिंदगी उसकी अपनी जिंदगी नहीं है। मनीष सिसोदिया की जिंदगी देश की जिंदगी है। उसकी जिंदगी का एक-एक पल इस देश का पल है। ये दो साल मनीष सिसोदिया के खराब नहीं हुए, बल्कि इस देश के खराब हुए हैं। अगर मनीष सिसोदिया जेल के बाहर रहते तो न जाने कितने और स्कूल बनते, न जाने कितने बच्चों को शिक्षा मिलती।

यह झाड़ू आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह ही नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक भी है- केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आने वाले चुनाव मामूली चुनाव नहीं हैं। दिल्ली का आने वाला चुनाव केजरीवाल की अग्नि परीक्षा है। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार है तो मुझे वोट देना, अगर आपको लगता है कि केजरीवाल बेईमान है तो मुझे कतई वोट मत देना। ये झाड़ू आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह ही नहीं है, बल्कि आस्था का प्रतीक भी है। जब एक आदमी वोट डालने जाता है और झाडू का बटन दबाता है तो अपनी आंख बंद करके पहले भगवान का नाम लेता है। झाड़ू का बटन दबाता है तो सोचता है कि मैं ईमानदारी का बटन दबा रहा हूं। मैं एक ईमानदार सरकार बनाने का बटन दबा रहा हूं। इस झाड़ू का बटन तभी दबाना अगर आपको लगे कि केजरीवाल ईमानदार है, नहीं तो इस झाड़ू का बटन मत दबाना।

लोगों में दिखी केजरीवाल को लेकर दीवानगी, पट गया जंतर-मंतर

दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने के बाद रविवार को ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जंतर-मंतर पर आयोजित ‘जनता की अदालत’ में पहुंचे। इस दौरान उनके प्रति दिल्ली की जनता की दीवानगी देखने लायक थी। पूरी दिल्ली से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और आम जनता उनको सुनने के लिए जंतर-मंतर पर उमड़ पड़ी और लोगों की भीड़ से पूरा जंतर-मंतर पट गया। गर्मी के बावजूद लोग डंटे रहे। जब अरविंद केजरीवाल संबोधन देने के लिए मंच पर खड़े हुए तो लोगो ने ‘मेरा केजरीवाल ईमानदार है और भष्टाचार का एक ही काल, केजरीवाल-केजरीवाल’ के जमकर नारे लगाए।

‘मेरा केजरीवाल ईमानदार हैं’ के पोस्टर-बैनर लेकर पहुंचे लोग

जनता की अदालत में आए लोगों ने अपने बेटे केजरीवाल को खूब प्यार दिया। कई लोग मेरा केजरीवाल ईमानदार है और आई लव केजरीवाल के पोस्टर और बैनर लेकर पहुंचे थे। केजरीवाल के भाषण के दौरान लोगों ने एक साथ हाथ उठाकर कहा कि केजरीवाल भ्रष्टाचारी नहीं हैं, बल्कि उनको जेल भेजने वाले भ्रष्टाचारी हैं।

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