देश की 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिदों के सर्वे की मांग, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर…

भारत में सौ साल से ज़्यादा पुरानी सभी मस्जिदों के सर्वे ASI या किसी अन्य सरकारी एजेंसी से कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सभी पुरानी मस्ज़िदों में फिलहाल वज़ू के लिए तालाब या कुएं का इस्तेमाल भी रोकने की मांग भी की गई है। वकील शुभम अवस्थी और सप्तर्षि मिश्रा द्वारा यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐतिहासिक तथ्यों का दावा करते हुए कहा गया कि ऐसे बहुत से प्रमाण है जिसमें लिखा गया है कि मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मस्जिद मंदिरों को तोड़ कर बनवाया गया था। ऐसे में अगर सरकार गोपनीय सर्वे करवाती है तो बहुत से साक्ष्य सामने आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई कि भारत में मौजूद 100 साल से पुरानी सभी मस्जिदों का ASI या किसी दूसरी सरकारी एजेंसी द्वारा गोपनीय सर्वे कराने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट जारी करे ताकि यह पता चल सके कि वहां हिन्दू सिख, जैन बौद्ध के धर्मिकस्थलों के अवशेष तो मौजूद नहीं है। इन सर्वेक्षणों को गोपनीय रखने की भी मांग की गई ताकि अगर सर्वे में कोई अवशेष मिलता है तो सांप्रदायिक घृणा और धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचा जा सके।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भारत की सभी पुरानी मस्ज़िदों में फिलहाल वज़ू तालाब का इस्तेमाल भी रोकने की मांग भी की गई। साथ में याचिका में गोपनीय सर्वे पूरा किये जाने तक वज़ू करने के लिए अलग स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था कराई जाने की भी मांग की गई। याचिका में कहा की सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर मौजूद या कुएं से अगर किसी धर्म के अवशेष या कुछ सामान मिलता है तो उसको संरक्षित रखा जाए। ताकि इनसे किसी की धर्मिक भावनाओं को आहत होने आए बचाया जा सकेगा।

याचिका में कहा कि मध्यकालीन युग में मुस्लिम आक्रांताओं ने कई हिन्दू, जैन, सिख और बौद्ध मंदिरों को अपवित्र किया था और उन्हें तोड़कर मस्जिद बनवाया था। ऐसे में इन प्राचीन पूजा स्थलों में बहुत से देवी देवताओं के अवशेष मिलेंगे जो दूसरे धर्मों के होंगे। आपसी सहयोग और सद्भाव क्व लिए इस मस्जिदों में मौजूद अवशेषों का सम्मान किया जाए और उनकी वापसी के लिए कदम उठाया जाए।

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