देवरिया कांड ने लिया सियासी मोड़, शलभमणि त्रिपाठी और शिवपाल यादव के बीच वार-पलटवार

फिलहाल देवरिया कांड ने सियासी मोड़ लिया और इस मामले में खूब राजनीति भी हो रही हैं.इसी के साथ बीजेपी विधायक शलभमणि त्रिपाठी और सपा नेता शिवपाल यादव के बीच ट्वीटर वॉर भी जारी है.

डिजिटल डेस्क- देवरिया में जो नरसंहार हुआ, उससे पूरा प्रदेश और देवरिया के लोग हैरत में हैं. देवरिया हत्याकांड के बाद से पूरे जिले में दहशत का माहौल है. और इस हत्याकांड ने अब सियासी रुख भी ले लिया है. हत्याकांड….पुरानी रंजिश…और विवाद की अलग- अलग कहानियां बताई जा रही है,सोशल मीडिया पर भी ये मुद्दा अभी काफी ज्यादा गरमाया हुआ है. ये मुद्दा अभी राजनीतिक रुप ले चुका है.

दरअसल, इस घटना में मारे गए सत्‍य प्रकाश दुबे और उनके परिवार के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था.इसमें बीजेपी विधायक शलभमणि त्रिपाठी शामिल हुए थे. यहां पर शलभमणि त्रिपाठी ने सपा पर जोरदार हमला करते हुए कहा था कि सपा के नेता मुझपर जातिवादी होने का आरोप लगा रहे हैं. मैं हजार बार इन आरोपों की जांच कराने की चुनौती देता हूं.

हुआ कुछ यूं कि अब बीजेपी विधायक शलभमणि त्रिपाठी के बयान पर सपा नेता शिवपाल यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. और टिप्पणी की है.

शिवपाल यादव ने अपने एक्स पर किए गए पोस्ट में देवरिया कांड को लेकर लिखा कि देवरिया कांड पर मा०विधायक देवरिया कह रहे हैं कि अगर सपा की हैसियत है तो उनकी एक हजार जांच करा ले। विधायक जी,सपा तो विपक्ष में है….आप सियासी रोटी सेंकना बंद कर प्रशासन की जवाबदेही व जिम्मेदारी तय करा लें.

वहीं सपा के दिग्गज नेता शिवपाल के एक्स पर लिखे गए इस पोस्ट पर बीजेपी विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया दी है. शलभमणि त्रिपाठी ने इसकी प्रतिक्रिया में लिखा कि माननीय शिवपाल जी,आपकी सरकार का आतंक लोग भूले नहीं,ये पूरा विवाद ही 2014 से है,जब आप सत्ता के मद में अन्याय करा रहे थे,जवाहरबाग से लेकर देवरिया तक ज़मीनें क़ब्ज़ा करवा रहे थे,आज भी सपा भले विपक्ष में हैं,पर अराजकता ही इसकी पहचान है….

फिलहाल देवरिया कांड ने सियासी मोड़ लिया और इस मामले में खूब राजनीति भी हो रही हैं.इसी के साथ बीजेपी विधायक शलभमणि त्रिपाठी और सपा नेता शिवपाल यादव के बीच ट्वीटर वॉर भी जारी है. सोशल मीडिया के जरिए दो राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर वार कर रहे हैं, पुराने बातें और अपनी-अपनी सरकार के समय में किए गए कामों को गलतियों के रुप में दर्शा रहे हैं. लेकिन इतने संगीन मामले में इस तरीके से आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेलना किस हद तक सही हैं.?

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