साल 2011 में प्रदेश की मायावती सरकार के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना से संबंधित बड़ा घोटाला सामने आया था. इस घोटाले में CMO डॉक्टर वाईएस सचान आरोपी पाए गए और लखनऊ जिला कारागार में बंद थे. 26 जून 2011 को CMO सचान की जेल में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.
तत्कालीन सरकार में इस मौत को आत्महत्या करार दिया गया था, लेकिन मंगलवार को सीबीआई कोर्ट इस मामले को हत्या बताया और तत्कालीन कई अफसरों को तलब किया. दरअसल, इस मामले में मृतक CMO सचान की पत्नी मालती सचान ने सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थीं.
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई अदालत समृद्धि मिश्रा ने आदेश दिया कि तत्कालीन अधिकारी कोर्ट के सामने हाजिर हों. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने तत्कालीन एडिशनल DGP वीके गुप्ता, तत्कालीन DGP करमवीर सिंह, और IG जोन लखनऊ के सुभाष कुमार सिंह को 8 अगस्त को तलब किया है.
पुलिस महकमे के इन आला अफसरों के अलावा सीबीआई SJM समृद्धि मिश्रा ने लखनऊ जिला कारागार के भी तत्कालीन कई कर्मचारियों को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है. सीबीआई की विशेष अदालत ने डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह समेत जेलर बीएस मुकुंद, बंदी रक्षक पहिंद्र सिंह और मुख्य कैदी वार्डन के बंदी रक्षक बाबू राम दुबे को भी 8 अगस्त को अदालत के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है.
बता दें कि, तत्कालीन मायावती सरकार के दौरान साल 2011 में सामने आया NRHM घोटाला बेहद बहुचर्चित रहा. तब इसकी जद में सरकार में बैठे मंत्री और शीर्ष अफसर भी आये थे. इसी मामले में प्रदेश सरकार के तत्कालीन प्रमुख सचिव रहे प्रदीप शुक्ला और मायावती सरकार के कद्दावर मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी साबित हुए और जेल भी जा चुके हैं.
गौरतलब हो कि पूरे मामले में कार्रवाई के बाद CMO सचान जब जेल में अपने आरोप काट रहे थे उसी दौरान उनके परिवार ने उनकी हत्या की आशंका जाहिर की थी लेकिन जेल प्रशासन ने इसे शिरे से नकार दिया था. बहरहाल, 11 साल बाद एक बार फिर केस में नया मोड़ आया है और सीबीआई ने सभी साजिशों का पर्दाफास करते हुए डॉक्टर सचान की मौत का कारण हत्या बताया है.