उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का बुधवार को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 91 वर्षीय गोपी चंद नारंग ने अमेरिका में अंतिम सांस ली। बता दे कि उनकी तबीयत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी जिसके चलते बुधवार को उनका निधन हो गया।
वही उनके निधन की जानकारी खुद उनके बेटे अरुण नारंग ने दी। गोपी चंद नारंग 57 किताबों के रचयिता थे। नारंग ने उर्दू के आलावा हिंदी और अंग्रेजी में भी कई किताबें लिखी थी। और उन्हे पद्म भूषण,साहित्य अकादमी जैसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। बताते चले कि मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का जन्म बलूचिस्तान के छोटे से शहर दुक्की में हुआ था। प्रो. नारंग ने अपना पूरा जीवन उर्दू को रूढ़िवादिता और सांप्रदायिकता के दायरे से बाहर निकालने में लगा दिया था। वह हमेशा कहते थे कि भाषा समायोजित और जीवित रहेगी, नदी की तरह यह अपना किनारा बदलती रहती है।