
भारत में माल और सेवा कर (GST) संग्रह ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मार्च 2025 में GST संग्रह में लगभग 10% की वृद्धि दर्ज की गई, जो ₹1.96 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यह एक महीने का दूसरा सबसे बड़ा GST संग्रह है।
इसकी वजह घरेलू मांग में सुधार और बेहतर कर अनुपालन को बताया जा रहा है। मार्च में GST संग्रह में यह वृद्धि पिछले साल के मुकाबले 10% अधिक रही, और पूरे वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल GST संग्रह ₹22.1 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष के ₹20.2 लाख करोड़ से 9.4% अधिक है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को आधिकारिक आंकड़े जारी करते हुए कहा कि यह वृद्धि आर्थिक स्थिरता और मजबूत कर अनुपालन को दर्शाती है। “लगभग 10% की वृद्धि अर्थव्यवस्था में सुधार और करदाताओं द्वारा बेहतर अनुपालन का संकेत देती है,” वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा।
कुल GST संग्रह में मार्च 2025 का आंकड़ा ₹1.96 लाख करोड़ रहा, जिसमें से ₹1.76 लाख करोड़ नेट संग्रह और ₹1.96 लाख करोड़ सकल संग्रह था। विशेष रूप से घरेलू रिफंड में 2.8% की वृद्धि और कुल रिफंड में 41.2% की बढ़ोतरी देखी गई।
आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल रिफंड ₹2.52 लाख करोड़ रहे, जो पिछले साल से 16.4% अधिक है। वहीं, कुछ राज्यों में GST संग्रह में डबल डिजिट वृद्धि देखी गई, जैसे त्रिपुरा, बिहार, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 30% से अधिक वृद्धि दर्ज की गई।
हालांकि, कुछ राज्यों में मामूली गिरावट भी देखी गई। जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, और दादरा और नगर हवेली में GST संग्रह में कमी दर्ज की गई है।
GST संग्रह की इस वृद्धि को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की आर्थिक स्थिरता और करदाताओं के बेहतर अनुपालन का संकेत है, लेकिन साथ ही उपभोग में सुस्ती और उच्च रिफंड भी चिंता का विषय बने हुए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में GST ऑडिट और जांच पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, ताकि कर चोरी को रोका जा सके और संग्रह में वृद्धि जारी रखी जा सके। यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत में GST संग्रह की स्थिति मजबूत है, और देश के विकास में कर राजस्व का योगदान महत्वपूर्ण बना हुआ है।