डेस्क: अक्टूबर के महीने में बेतहाशा बारिश ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। खरीफ की फसल आधी से ज्यादा नष्ट हो चुकी है और किसानों का खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। यूपी के बांदा में अक्टूबर के महीने में बारिश ने पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और 10 अक्टूबर तक की बात करें तो बांदा में 106.29 मिमी० बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। प्रशासनिक स्तर पर नुकसान का आकलन किया जा रहा है हालांकि अभी प्राथमिक जांच रिपोर्ट ही सामने आई है जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान तिल की फसल का बताया गया है जबकि मूंग उड़द और बाकी खरीफ की फसलें भी काफी तबाह हुई है।
कभी सूखा, कभी ओलावृष्टि, कभी बाढ़ और कभी बेमौसम जरूरत से ज्यादा बारिश बुंदेलखंड में किसानों की दुश्मन साबित होती रही है।बुंदेलखंड के बांदा में इस साल खरीफ की फसल लहलहाने से किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई थी लेकिन सितंबर के आखिरी हफ्ते और अक्टूबर के पहले हफ्ते में हुई बेतहाशा बारिश ने एक बार फिर किसानों की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया है। बांदा में खरीफ की फसल तकरीबन तैयार थी लेकिन बेतहाशा बारिश ने खेतों को तालाब बना दिया और नतीजा यह हुआ कि तिल, मूंग और उड़द की फसल 50 फ़ीसदी से ज्यादा खराब हो गई तो वही तेज बारिश के चलते धान की फसलें भी जमीन में लेट गई और धान में भी भारी नुकसान हुआ है। इस बेतहाशा बारिश से पीड़ित अन्नदाताओं का कहना है कि खरीफ की पूरी फसल तकरीबन उनकी तबाह हो चुकी है और जो बीज खेत में डाला था उसका पैसा भी निकलना नामुमकिन दिखाई दे रहा है।
किसानों की तबाही और अत्यधिक बारिश को देखते हुए जिला प्रशासन भी सक्रिय है। डीएम अनुराग पटेल ने राजस्व विभाग और कृषि विभाग की टीमें गठित कर बांदा की सभी तहसीलों में फसलों के नुकसान के आकलन के लिए भेजी हैं, हालांकि अभी प्राथमिक आकलन रिपोर्ट ही सामने आई है जिसके मुताबिक धान मूंग, उरद, तेल और धान समेत सभी खरीफ फसलों को नुकसान बताया गया है, जिसके मुताबिक तिल की फसलें 70 फीसदी से ज्यादा बर्बाद हो गई है। डीएम अनुराग पटेल का कहना है कि पूरे जनपद की आकलन रिपोर्ट आने के बाद किसानों को क्षतिपूर्ति के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी।