Hindi Diwas 2024: भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया हैं.. लेकिन भारत में ही हिंदी अपने अस्तित्व को खो रही हैं… आज हर कोई अंग्रेजी को महत्व दे रहा हैं. चाहे पढ़ाई करनी हो या नौकरी करनी हो.. आपको अंग्रेजी आनी ही चाहिए.. तभी तो शायद आज हिंदी दिवस मनाने की नौबत आ गई हैं.. जी हां.. आज हम ये बात इसलिए कर रहे हैं.. क्योंकि आज हिंदी दिवस हैं.. यह खास दिन हिंदी भाषा के महत्व को उजागर करने और इसे बढ़ावा देने के लिए देशभर में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर हिंदी भाषा की शुरुआत कैसे हुई। हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है और इस दिन का इतिहास और महत्व क्या है? आइए हिंदी दिवस से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं..
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
1- भारत की औपचारिक भाषा- 1949 में 14 सितंबर को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिंदी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी. भारत में हिंदी भाषा को व्यापक रूप से बोला जाता था, इसलिए इसे राष्ट्रभाषा बनाने का निर्णय लिया गया. 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को खास बनाने के लिए हर साल इसी तारीख को हिंदी दिवस मनाया जाता है. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था.
2- हिंदी भाषा को मिलता है बढ़ावा- हिंदी भाषा के लिए एक दिन निश्चित करने से बहुत फायदा मिलता है. इस दिन का उद्देश्य हिंदी भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करना है. युवाओं में हिंदी के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में कई तरह के निबंध, कविता पाठ, लेखन, नाटक जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस दिन युवाओं के साथ-साथ सभी वर्गों के लोगों के बीच हिंदी के महत्व को उजागर किया जाता है, ताकि मातृ भाषा को देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मान्यता मिल सके.
कम होता हिंदी का महत्त्व
मातृभाषा का सबसे बड़ा अपमान तब होता है जब साक्षात्कार के दौरान किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल पाती, क्योंकि वह अंग्रेजी को सही से नहीं बोल पाता, भले ही वह हिंदी का विशेषज्ञ हो. यहां तक कि बच्चों की शिक्षा की शुरुआत भी अंग्रेजी से होती है, जबकि स्कूलों में हिंदी को उतनी गहराई से नहीं पढ़ाया जाता जितना अन्य भाषाओं को महत्व दिया जाता है. यह बहुत ही दुखद है कि हिंदी, हमारी मातृभाषा होते हुए भी, आज उपेक्षित है.
सरकारी दफ्तरों और बैंकों में हिंदी को बढ़ावा देने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वहां का काम मुख्य रूप से अंग्रेजी में ही होता है. खासकर युवाओं में हिंदी पढ़ने और लिखने की चाह धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है, और हमारी मातृभाषा एक कोने में सिमट गई है. एक भारतीय होने के नाते, हमारा सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें और इसे विदेशों में भी मान्यता दिलाएं. इसके लिए हिंदी दिवस को बड़े धूमधाम से मनाना हमारी जिम्मेदारी है और हिंदी को प्राथमिकता देने का समय आ गया है…