
रिपोर्ट- गिरीश चन्दोला
डेस्क: आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित जोशीमठ में लगातार विगत कई सालों से भू-धसाव की समस्या बनी हुई है। अब नगर में जनहानि की संभावना भी बढ़ गई है। भू वैज्ञानिकों ने भी जोशीमठ की स्थिति को देखते हुए पहले ही स्पष्ट कर दिया कि जोशीमठ में भविष्य में बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि जोशीमठ नगर के कई वार्ड ऐसे हैं जहां निरंतर भूस्खलन हो रहा है।

पिछले दो भूकंप से तो घरों की दरारे और मोटी हो गई है लोगों के बेडरूम से लेकर किचन तक दरारें मोटी हो चुकी हैं। लोगों ने घरों के छात्रों को आंगन को गिरने से बचाने के लिए लकड़ी की गलियों के सहारे खड़े किए हैं. नगर में लगभग 150 सौ से अधिक मकानों पर दरार पड़ चुकी है। अगर कोई बड़ा भूकंप आया तो यह मकान जमीदोज होने की संभावना है और जनहानि होने का अंदेशा भी जताया जा रहा है।
वही नगर पालिका जोशीमठ के द्वारा नगर का लगातार भूगर्भीय सर्वेक्षण किया गया जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। नगर को अति संवेदनशील जोन में रखा गया है यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जिन आवासीय मकानों पर भूकंप से बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हैं लोग अभी भी अपने आवासीय मकान में रह रहे हैं। प्रशासन के द्वारा उनको अन्य जगहों पर शिफ्ट नहीं कराया गया है, अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले भविष्य में कोई बड़ा खतरा हो सकता है।