जानिए, ED के संयुक्त निदेशक से लेकर एक मझे हुए राजनेता के रूप में कैसा रहा भाजपा नेता राजेश्वर सिंह का सफर?

ईडी के साथ राजेश्वर सिंह का कार्यकाल 2007 में शुरू हुआ। तब से, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव छोड़ने वाले और सार्वजनिक महत्व के कई घोटालों की जांच की है। इसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा,

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में एक तरफ जहां कई राजनैतिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था, वहीं दूसरी तरफ अफसरशाही से राजनीति में कदम रखने वाले कई दिगज्जों के लिए भी यूपी विधानसभा चुनाव एक अग्नि परीक्षा थी। ऐसे ही कुछ लोगों में सबसे प्रमुख नाम लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से राजेश्वर सिंह का है।

कुछ महीने पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद भाजपा में शामिल हुए राजेश्वर सिंह ने गुरुवार को लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की। राजेश्वर सिंह ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मिश्रा को 55,000 से अधिक मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी।

राजनीति के मैदान में कदम रखने से पहले ईडी के संयुक्त निदेशक के रूप में, राजेश्वर सिंह का शानदार कार्यकाल रहा। साफ और ईमानदार छवि के अफसर रहे राजेश्वर सिंह ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत बसपा सुप्रीमो मायावती सहित कई प्रमुख राजनेताओं की जांच की है। प्रचंड मतों के अंतर से सपा प्रत्याशी को हराकर राजेश्वर सिंह ने यह सिद्ध कर दिया कि सीएम योगी और पीएम मोदी पर आज भी जनता का भरोसा कायम है।

राजेश्वर सिंह ने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस में 10 से अधिक वर्षों तक और ईडी में कई उच्च पदों पर लगभग 14 वर्षों तक सेवा की। राजेश्वर सिंह ने स्वैच्छिक सेवनिवृत्ति (VRS) लेने के बाद 1 फरवरी को अपने एक बयान में कहा था, कि वो जनता के प्रति सेवा और राष्ट्र के प्रति अपने पूर्ण समर्पण की भावना को राजनीति के जरिए ही एक नए आयाम तक पहुंचा सकते हैं। लिहाजा सेवानिवृत्ति से 11 साल पहले ही उन्होंने VRS लिया और भाजपा ज्वाइन कर प्रचंड वोटों से जीत और जनता का विश्वास हांसिल किया।

सरकार ने जब उनका VRS स्वीकार किया, उस दौरान राजेश्वर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत ईडी निदेशक एसके मिश्रा को भी धन्यवाद दिया था। राजेश्वर सिंह के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि राजनीति में बहुत अनुभवी ना होने के बावजूद भी लगभग 20 दिनों के चुनावी अभियान के जरिए और अपनी ही पार्टी के कुछ सदस्यों की चुनौतियों के बावजूद भी जनता को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए मनाने में सफल रहे।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के मूल निवासी, राजेश्वर सिंह ने IIT (ISM) धनबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने कानून और मानवाधिकार की मानद डिग्री भी हांसिल कर रखा है। पिछले महीनों बीते 1 फरवरी को उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि “उत्तर प्रदेश पुलिस में मेरे कार्यकाल के दौरान, मेरा प्रयास रहा है कि महिलाओं, बच्चों और पीड़ितों को त्वरित न्याय मिले। मैंने हमेशा कोशिश की कि पुलिस पर उनका विश्वास मजबूत बना रहे। चाहे वह क्रूर अपराधियों की गिरफ्तारी और मुठभेड़ हो, राज्य में तत्कालीन फलते-फूलते अपहरण उद्योग को नष्ट करते हुए मासूम बच्चों और युवाओं को बचाना हो, या पुलिस का आधुनिकीकरण और तकनीक को जोड़ना हो – मेरा उद्देश्य हर दिन कुछ नया और अच्छा करना है, और इसके लिए मुझे लोगों का अपार प्यार और सम्मान मिला.. मैं इसके लिए तहे दिल से आभारी हूं।”

ईडी के साथ राजेश्वर सिंह का कार्यकाल 2007 में शुरू हुआ। तब से, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव छोड़ने वाले और सार्वजनिक महत्व के कई घोटालों की जांच की है। इसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी योजना, गोमती रिवरफ्रंट घोटाला जैसे कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच शामिल है, जिसमें कई सफेदपोश अपराधियों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। ईडी के साथ काम करते हुए पीएमएलए एक्ट के तहत उन्होंने 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति की कुर्की की।

अपनी जीत पर उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा, चर्चित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर लिखा, ”सरोजनी नगर में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व रूप से विजयी बनाने के लिए कर्मठ व मेहनती कार्यकर्ताओं को हृदय से शुभकामनाएं अर्पित करता हूं। भाजपा के ऊर्जावान एवं समर्पित कार्यकर्ताओं की बदौलत ही मुझे जनसेवा का सुअवसर प्राप्त हुआ है! आप सभी का पुनः धन्यवाद!”

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