नगर निगम के टैंक से हर रोज लाखों लीटर पानी चोरी, बीजेपी नेता के भाई ने बना रखा था “धोबीघाट”

चिलचिलाती गर्मी में एक-एक बूंद पानी को तरसती जनता की तस्वीर के बीच मेरठ नगर निगम में पीने के पानी की चोरी ने इंसानियत को शर्मसार किया है. निगम के ओवरहैड टैंक से हर रोज लाखों लीटर पीने का पानी चोरी करके सिंचाई के लिए बेचा जा रहा था. पानी चोरों ने यहां पीने के पानी से कारपेट धोने का धंधा भी शुरू कर दिया था.

निगम के 3 दर्जन ओवरहैड टैंक और नलकूप का ठेकेदार बीजेपी नेता और महानगर महामंत्री महेश बाली का चचेरा भाई है. चचेरे भाई से पहले ये ठेके खुद महेश बाली चलाया करते थे.

जनता के हिस्से के पानी चोर की कहानी मेरठ के लखवाया फाजलपुर की है. यहां नगर निगम के नलकूप और ओवरहैंड टैंक से इलाके के लाखों लोगो को पीने का पानी सप्लाई किया जाता है. इस पानी से जनता की प्यास बुझती है. लेकिन आजकल यहां जनता को पानी की सप्लाई कम कर दी गयी थी. चीख-पुकार मची तो नगर निगम की अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय ने मौके पर छापा मार दिया. ममता मालवीय यहां का नजारा देखकर ठगी सी रह गयी.

ओवरहैड टैंक की आउटपुट लाइन में चार इंच पाइप से सैंध लगाकर उसे तोड़ दिया गया था. मुख्य वाटर लाइन में लगे चार इंची पाइप लाइन की सप्लाई पीछे मौजूद खेतों में जा रही थी. पीने का लाखों लीटर पानी हर रोज पास के खेतों में सिंचाई के लिए चोरी किया जा रहा था. इस चोरी का पैसा ठेकेदार हिमांशु बाली की जेब में जा रहा था.

पीने के पानी की चोरी और सरकारी उपक्रम में धंधेबाजी कहानी यहीं नही रूकी. नलकूप परिसर में सैकड़ों कारपेट अपर नगर आयुक्त को सूखते हुए मिले है. पूछताछ में पता चला कि पीने के पानी से कारपेट धोये जाते है और धुलाई के बाद उन्हें परिसर में ही सुखाया जाता है. यह कारपेट आसपास के टेंट मालिकों के है और इन कारपेटों का इस्तैमाल शादी-ब्याह में किया जाता है.नगर निगम का नलकूप परिसर कापरेट धोने के धोबीघाट में तब्दील हो चुका है.

ममता मालवीय ने बताया कि कारपेट्स को जब्त कर लिया गया है. पाइप लाइन से पानी चोरी रोकी गयी है और जो टेंटवाले इनके लिए जिम्मेदार है उन्हें 10-10 हजार रूपये का जुर्माना भरने का नोटिस दिया गया है. ठेकेदार पर कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर ममता मालवीय ने बताया कि उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस जारी किया गया है.

ठेकेदार हिमांशु को बाली को केवल नोटिस ? ममता मालवीय का जबाब सुनकर चौंक जाना लाजिमी इसलिए था कि जिस पर नलकूल और ओवरहैड टेंक की जिम्मेदारी है उसे महज नोटिस देकर कैसे छोड़ दिया गया.

जानकारी करने पर कुछ ऐसे तथ्य सामने आये है जो नलकूप, ओवरहैड ठेकों में मठाधीशी की कहानी बयां करते है.

नगर निगम के जल विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि नगर निगम के तीन दर्जन नलकूप और ओवरहैड टैंकों के रखरखाव का ठेका बीते एक दशक से मधु इंजीनियरिंग और जेएस कान्ट्रेक्टर के नाम है. 10-11 साल पहले एक बार ठेका छूटा उसके बाद से हर साल रिन्यूवल होता है. यह रिन्यूवल इतने चुपचाप होता है कि उसकी जानकारी तक किसी को नही दी जाती. यह दोनो फर्में हिमाशु बाली की है जो मेरठ महानगर में बीजेपी के महामंत्री महेश बाली का चचेरा भाई है.

महेश बाली ने भारत समाचार से हिमांशु बाली के चचेरा भाई होने की पुष्टि की है. यह पूछे जाने पर कि पानी प्रकरण में चोरी पकड़ी गयी है और चचेरे भाई को नगर निगम ने नोटिस दिया है, महेश बाली कहते है कि यह निगम की प्रक्रिया है.

महेश बाली भी नगर निगम के लंबे समय कान्ट्रेक्टर रहे है. पहले नलकूप के ठेके उनके ही पास थे. लेकिन पार्टी में पदाधिकारी बनने के बाद उन्होने यह काम अपने भाई हिमांशु बाली को दे दिया.

दरअसल, भाजपा संगठन के पदाधिकारियों के लिए नियम है कि पद संभालने के बाद उन्हें किसी भी तरह की ठेकेदारी छोड़नी होगी. इसलिए महेश बाली ने महानगर बीजेपी का महामंत्री बनने के बाद इस कारोबार से अपना नाम अलग करके फैमिली को यह जिम्मेदारी दे दी.

महेश बाली के सत्ता और नगर निगम में रसूख किसी से छुपे नही है. इसीलिए एक बार मिला ठेका हमेशा के लिए उनका हो गया. पहली बार जब उन्हें ठेका हुआ तब हरिकांत अहलूवालिया मेयर थे. बाद में बसपा की सुनीता वर्मा मेयर बनी लेकिन उनकी ठेकेदारी में कोई बाधा इसलिए नही आयी कि अफसर और सत्ता बीजेपी की थी. अब फिर से हरिकांत अहलूवालिया मेयर बन गये है तो उनके परिवार की इस ठेकेदारी पर ‘अमृत-कृपा’ जारी है. इसी अमृत कृपा की वजह से हिमांशु बाली को केवल नोटिस दिया गया.

नगर निगम के नये मेयर हरिकांत अहलूवालिया महेश बाली के बेहद करीबी माने जाते है.

हरिकांत अहलूवालिया से पानी चोरी के बारे में जब सवाल किया गया तो पहले उन्होने इसकी जानकारी होने से ही इंकार किया. फिर ठेकेदार पर निष्पक्ष कार्रवाई की दुहाई देने लगे. यह बताये जाने पर कि अफसरों ने ठेकेदार को केवल नोटिस जारी किया है, पानी चोरी का केस दर्ज नही कराया है. हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि अफसरों पर उनकी ओर से कोई दबाब नही है. हिमांशु बाली का नाम लिये जाने पर वह थोड़ा असहज हो गये. उन्होने कहा कि दोबारा आइये मैं जानकारी लेकर रखता हूं.

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