सदर तहसील क्षेत्र के मनेहरू गांव में वर्ष 1988 में ग्राम पंचायत से कृषि भूमि के पट्टे का प्रस्ताव लेकर आठ लोगों को किसान बना दिया गया। करोड़ों कीमत की सरकारी जमीन के आवंटन के बाद किसानों को संक्रमणीय भूमिधर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। जांच में तत्कालीन एसडीएम की स्वीकृति के बिना ही करीब आठ बीघे जमीन का पट्टा देने का घालमेल सामने आया।
तहसीलदार की रिपोर्ट के बाद एसडीएम सदर व आईएएस प्रफुल्ल कुमार शर्मा ने ऐसी भूमि से जुड़े सभी पट्टों को निरस्त कर जमीन को वापस राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराने का आदेश दिया है। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि संतोष बहादुर सिंह ने सदर तहसील क्षेत्र के मनेहरू गांव में 16 मार्च 1988 को भूमि प्रबंधक कमेटी की बैठक कराकर कृषि भूमि आवंटन का प्रस्ताव पारित करा लिया, लेकिन संबंधित प्रस्ताव को तहसील के तत्कालीन सक्षम अधिकारी से स्वीकृत नहीं कराया गया।
इसके बावजूद भी आपसी जोड़तोड़ के चलते खतौनी में संबंधित लोगों के नाम भी इसमें अंकित करवा दिए गए। इसके बाद शासन की मंशा पर पूर्व तहसीलदार सदर अनिल पाठक ने असंक्रमणीय भूमिधरों को संक्रमणीय करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इसी दौरान जांच में सामने आया कि खतौनी के खाता संख्या 881, 1042, 1044, 1063, 1069, 1089, 1091 व 1105 पर अमरावती, आशावती, बराती, रघुराई, रामसुरेश, रामदुलारी,लवकुश सिंह, हरिशंकर, करीब आठ बीघा जमीन पर असंक्रमणीय भूमिधर दर्ज हैं।
तहसीलदार की जांच के दौरान अभिलेखों में तत्कालीन सक्षम अधिकारी की स्वीकृति न लिए जाने की पुष्टि हो गई। इसके बावजूद खतौनी में संबंधित लोगों के नाम अंकित करवा दिए गए थे। तहसीलदार की जांच रिपोर्ट आने के बाद इस प्रकरण में एसडीएम सदर कोर्ट में वाद दाखिल किया गया। एसडीएम सदर ने मुकदमे की सुनवाई के बाद सभी आठ पट्टों को खारिज करते हुए संबंधित भूमि को राजस्व के अभिलेखों में दर्ज कराने का आदेश दिया है।