Mayawati ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- बेरोजगारी की तरह रुपये के अवमूल्यन को हल्के में न ले!

23 सितंबर को रुपया इंट्राडे ट्रेड में 81.26 डॉलर प्रति डॉलर के एक और रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपये की ऐसी गिरावट बेहद चिंता का विषय है...

23 सितंबर को रुपया इंट्राडे ट्रेड में 81.26 डॉलर प्रति डॉलर के एक और रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपये की ऐसी गिरावट बेहद चिंता का विषय है। अभी पिछले सत्र में डॉलर की तुलना में रुपया 80.87 अंक नीचे था और भारतीय मुद्रा का ये प्रदर्शन पिछले सात महीनों में सबसे ज्यादा खराब रहा था। रूपए की इस गिरावट पर सियासत भी शुरू हो गयी हैं। शनिवार को बसपा प्रमुख मायावती ने सरकार को घेरते हुए इस मुद्दे पर लगातार दो ट्वीट किये हैं।

पहले ट्वीट में मायावती ने लिखा कि, ” भारतीय रुपये की विश्व बाज़ार में लगातार गिरावट भले ही सरकार के प्रतिष्ठा से सीधे तौर पर न जुड़ी हो तथा लोगों को भी इसकी ख़ास चिन्ता न हो, किन्तु इससे देश की अर्थव्यवस्था चरमराती है व मनोबल भी टूटता है। सरकार महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी की तरह रुपये के अवमूल्यन को हल्के में न ले।”

जिसके बाद एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, ” विदेशी मुद्रा भण्डार के भी घटकर दो साल के निचले स्तर पर आ जाने की ख़बर सुर्ख़ियों में है व रिज़र्व बैंक व अन्य सभी चिन्तित व व्याकुल। इसलिए सरकार की गलत आर्थिक नीतियों व प्राथमिकताओं का इसे दोष मानने के आरोप-प्रत्यारोप में न उलझ कर इस ओर त्वरित प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत।”

तमाम आर्थिक संस्थाओं और अर्थव्यवस्था का जानकारों की मानें तो भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 82 अंक तक गिर सकता है। इसके पीछे की वजह वैश्विक मंदी के अलावा व्यापक व्यापार घाटा, भारत-अमेरिका ब्याज दर के अंतर में कमी और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी रही है।

बहरहाल, मुद्रास्फीति के इसी दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया है। आर्थिक विश्लेषकों का ये भी मानना है कि यह वैश्विक विकास को धीमा कर सकता है और मंदी को जन्म दे सकता है।

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