Mayawati का छलका दर्द, कहा- राजनीतिक इंसाफ न होने के कारण नहीं बना कोई दलित PM !

इन दिनों ब्रिटिश के नए प्रधानमंत्री ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भारत में हर कोई बारे में कुछ न कुछ ...

इन दिनों ब्रिटिश के नए प्रधानमंत्री ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भारत में हर कोई बारे में कुछ न कुछ कहा रहा हैं। एक तरफ उनके हिन्दू होने से विश्व स्तर पर चर्चाएं हो रही हैं। वहीं कुछ लोग इस पर राजनीती भी कर रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने अब इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने अब दलित प्रधानमंत्री का मुद्दा उठाया हैं। उन्होंने एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किये हैं।

पहले ट्वीट में बसपा सुप्रीमों ने कहा कि, “भारतीय मूल के श्री ऋषि सुनक के अन्ततः ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचने पर यहाँ कांग्रेस व बीेजेपी में ट्विटर वॉर, आरोप-प्रत्यारोप व इधर-उधर की बात जारी है, किन्तु उस राजनीतिक हक व इंसाफ की बातें नहीं की जा रही हैं जिस कारण देश में अभी तक कोई दलित पीएम नहीं बन पाया है।”

दूसरा ट्वीट करते हुए मायावती ने लिखा कि, “ऐसे समय जब अमेरिका व यूरोप के अमीर व विकसित देश जबर्दस्त संकटों के बुरे दौर से जुझ रहे हैं तथा स्थिति को संभालने के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं, भारतीय हुक्मरानों को भी देशहित व यहाँ की जनता के भविष्य के लिए अपनी संकीर्ण एवं जातिवादी सोच को त्यागना ही होगा।”

एक और ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि, “इसी क्रम में यह जाँच/परख जरूरी है कि दलित, पिछड़े व उपेक्षितों का सच्चा हितैषी कौन? क्या बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को भुलाकर उनके करोड़ों अनुयाइयों का कोई असली हितैषी हो सकता है, जैसा कि खड़गे सहित अन्य विरोधी नेतागण उनकी पार्टी की संकीर्ण सोच से मजबूर हैं।”

बता दें कि मायावती ने पिछले हफ्ते ही एक सम्म्मेलन कर प्रदेश पदाधिकारियों को निकाय चुनाव को लेकर चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी। और उन्हें जीत के लिए मूल मंत्र दिया था। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के हालात बदतर है। बसपा कार्यकर्ताओं से लोगों को जागरूक करने की अपील की।

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