मायावती का राजनीतिक सफर, 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड, कैसे 1977 में बदला जीवन ?

उत्‍तर प्रदेश का नाम देश के सबसे बड़े राज्‍यों में शुमार है और इस राज्‍य की राजनीति में हमेशा से पुरुषों का दबदबा रहा है। भारतीय राजनीती की बात करे तो ऐसे बहुत काम ही महिलाएं है जो पुरे विश्व भर में फेमस है। उसी में से एक नाम है बहुजन पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती। बसपा सुप्रीमों से यूपी की सियासत में 4 बार मुख्यमंत्री रही। मायावती को ‘आयरन लेडी’ के नाम से जाना जाता है।

कहते है न यूपी से होकर जाता है दिल्ली की गद्दी का रास्ता। इसी लिए प्रदेश की राजनीति अहम् मानी जाती है और इसे बहुत महत्व दिया जाता है। केंद्र की सरकार का फैसला यूपी की लोकसभा की सीटें हीं तय करती हैं इसी कारण से यहां की सियासत पर सबकी नजर रहती रहती है। यहां की राजनीति में जातिवाद का बहुत महत्व है। एक समय था प्रदेश में बसपा पार्टी की लहर चल रही थी और दलितों की खैरख्वाह के तौर पर पहचानी जाती थी।

15 जनवरी को बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन मनाया जा रहा है। चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती पिछले कुछ समय से कुछ खामोश सी हैं। लेकिन उम्मीद की जा रही है अपने जन्मदिन पर कोई बड़ा ऐलान कर वे फिर सक्रिय हो सकती हैं।

घर में ही हुई थी भेदभाव का शिकार

बता दें कि मायवती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के एक दलित जाटव परिवार में हुआ था। उनके पिता प्रभु दास बादलपुर गौतम बुद्ध नगर में सरकारी कर्मचारी थे। बचपन में उनका नाम चंद्रावती था और लड़की होने की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा था। मायावती ने 6 भाइयों और 3 बहनों के परिवार में बचपन से ही भेदभाव का सामना किया था। उनके पिता ने बचपन से ही सभी भाईयों को पब्लिक स्कूलों में डाला और बहनों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने भेजा लेकिन मायावती सभी भाई-बहनों में से पढ़ाई में सबसे आगे थी।

साल 1977 ने बदली मायावती की जीवन

बसपा सुपरमैन मायावती के जीवन में साल 1977 बहुत खास रहा है। इस साल ने मायावती का जीवन बदल दिया। 1977 में मायावती की मुलाकात दलित नेता कांशीराम से हुई। कांशी राम चंद्रावती से मिलने उनके घर आए और उनसे कहा था, “मैं तुम्हें इतना बड़ा नेता बना सकता हूं कि एक दिन तुम्हारा आदेश पूरा करने के लिए आईएएस अफसरों की लाइन लगी रहेगी.” कांशीराम की यह भविष्यवाणी बाद में पूरी तरह से सच साबित हुई और मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं।

1989 पहली बार बनी थीं सांसद

साल था 1984 का और प्रदेश की सियासत में हलचल बढ़ रही थी। राजनीति में उभरता हुआ नाम एक नाम था मायावती। जो पहली बार 1984 में जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई तो मायावती टीम में कोर मेंबर थीं और वह 1989 में बिजनौर जिले से सांसद चुनी गईं। मायावती की राजनीति में एंट्री होने के बाद वह पार्टी के साथ जुड़ रही और उस पार्टी की मुखिया बनी।

कैसा रहा मायावती का राजनैतिक जीवन ?

बसपा सुप्रीमों मायावती 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुखिया बनी। इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। एक तो प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और दूसरा देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का। इसके बाद 6 महीने के लिए सरकार में आयी फिर 3 महीने के लिए 2003 में पुनः यूपी की गद्दी संभाली। 2007 से पांच साल के लिए उत्तर प्रदेश की कमान हाथ लिए रहीं।

सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनी मायावती

बसपा सुप्रीमों मायावती के नाम 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। मायावती 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुखिया बनी। इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। एक तो प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और दूसरा देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का। इसके बाद 6 महीने के लिए सरकार में आयी फिर 3 महीने के लिए 2003 में पुनः यूपी की गद्दी संभाली। राज्य की पंद्रहवीं विधानसभा चुनाव साल 2007 में मायावती ने 403 विधानसभा सीटों में से 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत में आयी. इस बार उनका कार्यकाल साल 2007 से लेकर साल 2012 तक रहा.

कैसा रहा 2022 का विधानसभा चुनाव

मायावती की राजनीति 2012 से ही कमजोर होने लगी। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती के पार्टी का सबसे बुरा हाल रहा मात्र 1 सीट ही जीत पायी थी। जबकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती को 19 सीटें मिली थीं। धीरे धीरे अब मायावती का वोटबैंक भी काम होता जा रहा है। 2017 में मायावती का वोटबैंक 22 था लेकिन 2022 के चुनाव में मात्र 13 फीसद रह गया।

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