अब सैटेलाइट से सीधे जुड़ेगा स्मार्टफोन, मोबाइल टावर का अंत!…इस वजह से मुकेश अंबानी, सुनील मित्तल के लिए बड़ी चुनौती…

उपयोगकर्ताओं को आपात स्थिति के दौरान, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों या मृत क्षेत्रों में यात्रा करते समय निर्बाध कनेक्टिविटी मिलती रहेगी।

दिल्ली- हमारा भारत देश कई मायनों में हाईटेक हो चुका है. कई तरीके की टेक्नोलॉजी को भारत टेस्ट कर रहा है और तकनीकी मामलों में भारत तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. डिजिटली भी भारत काफी ज्यादा ग्रो कर रहा है.

इसी कड़ी में बता दें कि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और सुनील मित्तल की भारती एयरटेल लिमिटेड को एक अमेरिकी कंपनी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है, जिसके इन दो दूरसंचार दिग्गजों से आगे निकलने की बहुत संभावना है। मोबाइल संचार और हाई-स्पीड इंटरनेट डेटा के मामले में जियो और एयरटेल दो सबसे बड़ी कंपनियां हैं, कम से कम अब तक तो यही स्थिति है। ये दोनों ही कंपनियां 5G नेटवर्क और OTT प्लेटफॉर्म जैसी नवीनतम सुविधाएं किफायती कीमतों पर उपलब्ध करा रही हैं।

लेकिन, ऐसा लगता है कि यह सब बहुत जल्द खत्म होने वाला है!

बता दें कि एलन मस्क की स्वामित्व वाली कंपनी स्पेसएक्स के स्टारलिंक ने एक नई सैटेलाइट संचार सेवा “डायरेक्ट-टू-सेल” शुरूआत की है। इस तकनीक के ज़रिए यूज़र अपने स्मार्टफ़ोन को सीधे स्टारलिंक के सैटेलाइट से कनेक्ट कर पाएँगे। इसका मतलब यह है कि पारंपरिक मोबाइल टावर की ज़रूरत नहीं होगी और उन जगहों पर भी इंटरनेट और कॉल कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी जहाँ टेलीकॉम कंपनियाँ सेल टावर नहीं लगा पाई हैं। स्टारलिंक की डायरेक्ट-टू-सेल सेवा लॉन्च के साथ ही स्पेसएक्स टीम ने कई बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझेदारी की भी घोषणा की है। एलन मस्क ने खुद एक पोस्ट के ज़रिए इस सूची की पुष्टि की है।

स्टारलिंक पिछले कुछ महीनों से लगातार अपने सैटेलाइट संचार नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। कंपनी स्पीड बढ़ाने के लिए लगातार नए सैटेलाइट तैनात करने के साथ ही नए रॉकेट लॉन्च कर रही है। ट्वीकटाउन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब यूजर्स 250-350Mbps की स्पीड से इंटरनेट का लुत्फ उठा रहे हैं। यह साउथ ऑस्ट्रेलियाई इलाकों में फाइबर के जरिए मिलने वाली 50-60Mbps स्पीड से कहीं ज्यादा है।

ध्यान देने वाली बात ये है कि स्टारलिंक की यह नई सेवा निश्चित रूप से सैटेलाइट संचार में एक अनूठी उपलब्धि है। स्मार्टफोन को सैटेलाइट से सीधा कनेक्शन देने वाली इस सेवा के लिए किसी तरह के सेल टावर की जरूरत नहीं होगी। इससे उन इलाकों में भी संचार सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी, जहां फिलहाल कवरेज नहीं है।

स्पेसएक्स लगातार दुनिया भर में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नए सैटेलाइट तैनात कर रहा है। सैटेलाइट तकनीक को मौजूदा मोबाइल नेटवर्क के साथ एकीकृत करके यह सेवा बिना किसी खास हार्डवेयर या ऐप के टेक्स्ट मैसेज, कॉलिंग और डेटा सेवाएं प्रदान करती है।

मोबाइल कवरेज का विस्तार करने के अलावा, डायरेक्ट-टू-सेल सेवा लाखों इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस को कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगी। स्पेसएक्स का दावा है कि इस तकनीक के माध्यम से डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए किसी विशेष या अतिरिक्त हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं है। उपयोगकर्ताओं को आपात स्थिति के दौरान, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों या मृत क्षेत्रों में यात्रा करते समय निर्बाध कनेक्टिविटी मिलती रहेगी।

स्पेसएक्स वर्तमान में उन्नत रॉकेट और अंतरिक्ष यान बना रहा है। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक उपग्रहों को तैनात करने के लिए अंतरिक्ष यान और रॉकेट भी लॉन्च कर रही है। डायरेक्ट-टू-सेल उपग्रहों को फिलहाल स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और स्टारशिप पर लॉन्च किया जाएगा।

अगर एलन मस्क की तकनीक सफल होती है, तो निश्चित रूप से तकनीक का भविष्य पूरी तरह से बदल जाएगा। इसका दूरसंचार उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और मोबाइल टावरों की जरूरत धीरे-धीरे खत्म हो सकती है।

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