बीजेपी के साथ आए ओपी राजभर…जानिए कैसा रहा सुभासपा का राजनीतिक इतिहास ?

ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर से बीजेपी के साथ आ गए है. ओपी राजभर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी में शामिल होने की बात.

डिजिटल डेस्क- ऐसा माना जाता हैं दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. इसी से हिसाब लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के लिए यूपी की जगह कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. यूपी की 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विकास के मुद्दे के साथ जातीय समीकरण भी बड़ा फैक्टर माना जाता है. और मिशन 2024 में बीजेपी जीत हासिल करने के लिए लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में आज का दिन बीजेपी के लिए काफी अहम रहा है. क्योंकि ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा का बीजेपी के साथ गठबंधन हो गया है. और इसी के साथ विपक्षी खेमें को तगड़ा झटका लगा है.

ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर से बीजेपी के साथ आ गए है. ओपी राजभर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी में शामिल होने की बात को बताते हुए विपक्षी पार्टियों पर जमकर तंज कसा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जातीय समीकरण सहित कई मुद्दों पर उन्होंने अपनी बात रखी. और आगामी रणनीति को लेकर भी वो जल्द चर्चा करेंगे.

ओपी राजभर और सुभासपा का इतिहास

ओपी राजभर…को पिछड़ा और दलित वर्ग का बड़ा चेहरा माना जाता है. और हमेशा से ही चुनाव में उन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों के लिए अपनी आवाज को बुलंद किया है.

ओम प्रकाश राजभर, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है. और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके है. ओपी राजभर उन नेताओं में से हैं जो अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते है.

ओम प्रकाश राजभर का जन्म 15 सितंबर 1962 को वाराणसी जिले के फत्तेहपुर खौदा में हुआ था. राजभर अपने पिता के साथ खेती-किसानी का काम किया करते थे. ओपी राजभर ने वाराणसी के बलदेव डिग्री कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की.

राजनीति में कैसे हुई एंट्री ?
ओपी राजभर ने 1981 में कांशीराम से प्रभावित होकर और उनके समय में राजनीति में कदम रखा. जिसके बाद उन्होंने बसपा में रहकर क्षेत्र के लिए काम किया. इसके बाद 2001 में उनका मायावती के साथ विवाद हो गया. और विवाद होने की वजह ये रही कि भदोही का नाम बदलकर संतकबीर नगर रखने से राजभर नाराज थे. इसके बाद वो बसपा से अलग हो गए. बसपा से अलग होने के बाद 2002 में उन्होंने अपनी पार्टी सुभासपा को स्थापित किया. इसके बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ओपी राजभर ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने प्रत्याशी उतारे. लेकिन उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली.लेकिन 2017 में बीजेपी के साथ सुभासपा आई. विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने चार सीटों पर कब्जा किया था. इसके बाद उनको योगी कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी मिली. इसके बाद मनमुटाव होने के बाद इनकी बीजेपी से राहें जुदा हो गई. इसके बाद साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले वो समाजवादी पार्टी के साथ आ गए. राजभर ने अखिलेश से गठबंधन कर 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत भी हासिल कर ली.

गठबंधन से किसको फायदा…
सुभासपा का पूर्वांचल में बड़ा असर है.इसलिए गठबंधन से बीजेपी को पूर्वांचल में मजबूती मिलेगी.आगामी 24 के चुनाव में बीजेपी को पिछड़ी जातियों का साथ मिलेगा. सुभासपा पार्टी के भविष्य के लिए बड़े दल की जरूरत थी. गठबंधन के बाद OP राजभर को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. बता दें कि दोनों दलों के लिए गठबंधन फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

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