पीएम मोदी ने देशवासियों से की ‘मन की बात’, बोले- स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए

नरेंद्र मोदी देशवासियों से ‘मन की बात’ कर रहे हैं। यह ‘मन की बात’ का 92 वां एपिसोड है। रेडियो कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत 2014 में हुई थी। इस दौरान पीएम मोदी ने हर घर तिरंगा मुहिम को सफल बनाने के लिए देशवासियों की सराहना की। मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि अगस्त के इस महीने में, आप सभी के पत्रों, संदेशों और कार्ड ने, मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया है। मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आज़ादी से जुड़ी बात न हो।

पीएम मोदी ने आगे कहा अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं, एक चेतना की अनुभूति हुई है। इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया। अमृत महोत्सव के ये रंग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में वहां के रहने वाले स्थानीय गायक ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए।

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनसुने नायक-नायिकाओं की कहानी है ‘स्वराज’। पर हर रविवार ‘स्वराज’ का रात 9 बजे प्रसारण होगा जो 75 सप्ताह तक चलने वाला है। मेरा आग्रह है कि आप इसे खुद भी देखें और अपने बच्चों को भी जरूर दिखाएं। मन की बात’ में ही चार महीने पहले मैंने अमृत महोत्सव की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन जुटा, स्वयं सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग जुटे, देखते ही देखते अमृत सरोवर का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया है।

United Nations ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित किया है। आपको ये जानकर भी बहुत खुशी होगी कि भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। आज, दुनिया भर में, इसी मोटे अनाज का, Millets का, Craze बढ़ता जा रहा है। Millets, मोटे अनाज, प्राचीन काल से ही हमारे Agriculture, Culture और Civilisation का हिस्सा रहे हैं। हमारे वेदों में Millets का उल्लेख मिलता है, और इसी तरह, पुराणनुरू और तोल्काप्पियम में भी, इसके बारे में, बताया गया है।

पीएम मोदी ने आगे कहा भारत, विश्व में, Millets का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए इस पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी भी हम भारत-वासियों के कंधे पर ही है। हम सबको मिलकर इसे जन-आंदोलन बनाना है, और देश के लोगों में Millets के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है। मेरा, अपने किसान भाई-बहनों से, यही आग्रह है कि, Millets, यानी मोटे अनाज को, अधिक-से-अधिक अपनाएं और इसका फायदा उठाएं।

पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। पहाड़ों की जीवनशैली और संस्कृति से हमें पहला पाठ तो यही मिलता है कि हम परिस्थितियों के दबाव में ना आएं तो आसानी से उन पर विजय भी प्राप्त कर सकते हैं, और दूसरा, हम कैसे स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

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