
प्रधानमंत्री मोदी ने इन दिनों जेरे-बहस महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर भी बात की। कहा, बेटियों की शादी की उम्र 18 साल थी। बेटियां चाहती थीं, उन्हें भी आगे बढ़ने के लिए समय मिले। इसलिए शादी की उम्र 21 साल करने का प्रयास किया जा रहा है। देश यह फैसला बेटियों के लिए कर रहा है, लेकिन किसको इससे तकलीफ हो रही है, यह सबको पता है।
महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए पीएम ने कहा कि यह हमारी सरकार है जिसने देश भर के सैनिक स्कूलों में के दरवाजे बेटियों के लिए खोले। मुस्लिम बहनों को अत्याचार से बचाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया। बिना किसी भेदभाव के डबल इंजन की सरकार बेटियों के जीवन को सुनहरा बनाने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए हमारी सरकार उनकी मुश्किलों को देखते हुए फैसले ले रही है। कोरोना के दौर में घर का चूल्हा जलता रहे,इसके लिए मुफ्त राशन देने की योजना हमारी सरकार ने ही चलाई। महिला कुंभ में उत्साहित महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां परंपरा से ऐसी परंपरा रही कि घर और हर संपत्ति पर केवल पुरुषों का ही अधिकार था।
पीएम ने कहा, अब हमारी सरकार इस असमानता को दूर कर रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसमें प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं के नाम से घर की रजिस्ट्री हो रही है। अकेले यूपी में 30 लाख से अधिक घर मइस योजना में बने, जहां 25 लाख घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम से हुई। यही तो सच्चा सशक्तिकरण है। यही विकास है।