अमेठी में टीचर के पूरे परिवार की निर्मम हत्याकांड में पुलिस की ढिलाई और महिला अपराधों के प्रति उसके लचर रवैए की पोल खुल गई है। मिशन शक्ति के नौ दिन के अभियान को रायबरेली और अमेठी पुलिस ने पलीता लगा दिया है। पूनम की एफआईआर पर अगर पुलिस ने वक्त रहते चंदन वर्मा को गिरफ्तार कर लिया होता तो आज चार बेगुनाह मरने से बच जाते।लेकिन अधिकारियों ने खुद को फंसा देख अब मामले को ट्विस्ट करना शुरू कर दिया है। दलित समाज से आने वाले टीचर सुनील कुमार, उनकी पत्नी पूनम भारती और दो मासूम बच्चों की हत्या कर दी गई।
पुलिस सूत्रों के जरिए ये फैलाना शुरू किया है की पूनम और चंदन का प्रेम प्रसंग था। लेकिन पुलिस ये नहीं बता पा रही जब पूनम ने रायबरेली में चंदन के खिलाफ खुली और गंभीर आरोपों वाली एफआईआर करवाई थी तो एक्शन क्यूं नही लिया गया और अगर प्रेम प्रसंग का एंगल पुलिस तलाश रही है तो पूनम एफआईआर क्यों करवाती। इस पूरे प्रकरण में सीनियर पुलिस अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है जिनके शिथिल पर्यवेक्षण और लचर कार्यशैली से अपराधियों का मनोबल बढ़ गया। फिलहाल किसी भी सीनियर पुलिस अधिकारी को न तो सस्पेंड किया गया और न करवाई।
दरअसल, ये पूरा मामला यूपी के अमेठी का है। जहां तिलोई तहसील क्षेत्र के पन्हौना स्थित कंपोजिट विद्यालय में मृतक सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत थे। वो अपने पूरे परिवार के साथ ही अमेठी के थाना शिवरतनगंज के अहोेरवा भवानी चौराहे पर किराए के रूम मेंरहते थे। इसी बीच गुरुवार की देर रात कुछ अज्ञात बदमाशों ने शिक्षक दंपति के साथ उनके दो मासूम बच्चों को भी गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया। हालांकि, मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस ने पहुँच कर छानबीन शुरू कर दी।