संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। दोनों नदियां खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच चुकी हैं। दोनों नदियों के बढ़े हुए जलस्तर ने तटीय इलाकों के रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। करीब 3 दर्जन से अधिक ऐसे इलाके हैं जो पूरी तरीके से जलमग्न हो चुके हैं। बाढ़ की जद में आए लोगों ने अपना घर छोड़कर छतों पर अपना ठिकाना बना लिया है। कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बाढ़ राहत शिविरों का भी रुख कर लिया है। अचानक 3 दिनों के भीतर गंगा-यमुना के रौद्र रूप ने लोगों को समझने का भी मौका नहीं दिया। गंगा जहां 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहीं हैं तो वहीं यमुना का जलस्तर भी 5 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। जिस रफ्तार से गंगा और यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है, इससे माना जा रहा है कि आने वाले एक से दो दिनों में दोनों नदियां खतरे के निशान को पार कर जाएंगी।
दोनों नदियों के बढ़ते हुए जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की टीम भी अलर्ट हो गई है। बाढ़ राहत शिविरों के साथ ही चौकियां बनाई गईं हैं। गंगा और यमुना के तटवर्ती इलाकों में जल पुलिस के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें गस्त कर रही हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में नावों की तैनाती की गई है। दोनों नदियों के बढ़ते हुए जलस्तर ने कई गांव के संपर्क मार्ग को भी अपनी जद में ले लिया है। झूसी के बदरा सोनौटी समेत कई गांवों का संपर्क मार्ग भी जलमग्न हो चुका है। जिसके चलते आने जाने वाले लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।
वहीं शहर के दारागंज इलाके में भी अधिकतर घरों के भीतर पानी पहुंच चुका है, लोगों ने अपने घरों की छतों पर ठिकाना बना लिया है। कुछ इसी तरीके के हालात शहर के सलोरी, बघाड़ा, गोविंदपुर, चिल्ला, राजापुर, ऊंचवागढ़ी, बेली कछार, गंगानगर इलाके के भी हैं। जहां पर हजारों की संख्या में घरों के भीतर पानी पहुंच चुका है। लोग घरों की छतों पर रहने के लिए मजबूर हैं या फिर बाढ़ राहत शिविरों में रहना शुरू कर दिए हैं।
जिस तरीके से दोनों नदियों ने पिछले 3 दिनों के भीतर विकराल रूप लिया है। इससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में गंगा और यमुना के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें कम होने वाली नहीं है। क्योंकि दूसरे शहरों में हुई भारी बारिश के साथ ही दूसरे राज्यों से कई लाख क्यूसेक पानी गंगा और यमुना में छोड़ा गया है। आने वाले दिनों में जब यह पानी प्रयागराज में पहुंचेगा तो आसपास के इलाकों में तबाही का मंजर देखने को मिलेगा।