रक्षाबंधन त्यौहार नहीं….जिम्मेदारी हैं, एक संकल्प खुद से भी करें….

रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहन के स्नेह और पवित्र बंधन का प्रतीक हैं. रक्षाबंधन सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है..

रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहन के स्नेह और पवित्र बंधन का प्रतीक हैं. रक्षाबंधन सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है और भारत में यह त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है.रक्षाबन्धन पर्व में रक्षासूत्र यानी राखी का सबसे अधिक महत्व है। इस पर्व के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है. यह एक ऐसा रिश्ता है, जो प्यार, विश्वास और सुरक्षा पर आधारित है. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बांधते समय संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण किया हैं। यह श्लोक रक्षाबन्धन का एक अभीष्ट मन्त्र है।

येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम प्रतिबद्धनामी रक्षे माचल माचल:

इस श्लोक का अर्थ है जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं। तुम अपने संकल्प से कभी भी विचलित मत होना। लेकिन, अब रक्षाबंधन के इस पारंपरिक अर्थ को आज के समय में एक नई चुनौती मिल रही है. भारत में बढ़ते हुए बलात्कार के मामलों ने इस त्योहार के पीछे के मूल्यों पर सवाल उठाए हैं. एक ओर जहां हम रक्षाबंधन मनाते हुए भाई-बहन के प्यार का जश्न मनाते हैं, वहीं दूसरी ओर हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं. अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करने वाला अक्सर दूसरों की बहन पर गंदी नजर रखता है.

दरअसल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसकी हत्या के बाद पूरे देश का गुस्सा उबाल पर है. इस हैवानियत के बाद देशभर में प्रदर्शन हो रहा है और लोग इस मामले पर न्याय की मांग कर रहे हैं. घटना को अंजाम देने वालों के लिए कोई फांसी की सजा की मांग कर रहा है तो कुछ लोग सार्वजनिक मौत की सजा की मांग कर रहे हैं. कोलकाता की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना ने समाज को हिलाकर रख दिया है. इस तरह की घटना के लिए अक्सर मौत की सजा को एक संभावित उपाय के रूप में देखा जाता है. लेकिन, क्या वाकई मौत की सजा बलात्कार जैसी जघन्य अपराध को रोकने का एक प्रभावी उपाय है?

क्या मौत की सजा रोक सकती है बलात्कार?

अगर ये सवाल किया जाए कि क्या कानून को सख्त बनाकर और ऐसे मामलों में मौत की सजा देकर बलात्कार की घटनाओं को रोका जा सकता है. जी नहीं… कई बार कई बलात्कारीयों को मौत की सजा दी जा चुकी हैं… जिससे साफ जाहिर होता हैं कि मात्र फांसी की सजा देने से बलात्कार के रेप नहीं खत्म होंगे…. मौत की सजा का उद्देश्य अपराधी को सजा देना होता है, अपराध को रोकना नहीं. अब तक किसी स्टडी या रिसर्च में मौत की सजा से अपराध दर में कमी आने के कोई ठोस सबूत भी नहीं मिले हैं.
मौत की सजा को मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है. यह एक अपरिवर्तनीय सजा है और किसी भी गलतफहमी या न्यायिक भूल का मौका नहीं छोड़ती. बलात्कार जैसा अपराध कई सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारकों से प्रभावित होता है. सिर्फ सजा को कठोर बना देने से यह समस्या हल नहीं होगी. इसके लिए लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी. इसके साथ ही भारत में न्यायिक प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है. कई बार बलात्कार के मामलों में पीड़ितों को न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं. इस तरह की देरी से पीड़ितों का न्यायपालिका से विश्वास उठ जाता है.

कानून से पहले खुद को बदले

मौत की सजा बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को रोकने का कोई स्थाई समाधान नहीं है. हमें इस समस्या के जड़ तक जाने की जरूरत है और सामाजिक बदलाव लाने के लिए काम करना होगा. शिक्षा, जागरूकता और कानून व्यवस्था में सुधार लाकर ही हम इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं. लोगों को, खासकर पुरुषों को, बलात्कार के बारे में जागरूक करना होगा. उन्हें समझना होगा कि महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण एक अपराध है और यह महिलाओं को अंदर से तोड़ देता है. इसकी शुरुआत हमे अपने घर से करनी होगी, अपने बच्चों को समझाना होगा और महिलाओं की रिस्पेक्ट करने की बात समझानी होगी.

कानून भी निभाए अपनी जिम्मेदारी

अब ऐसा तो है नहीं कि हम सबकी सोच को बदल दें और हर किसी को इसके लिए जागरूक कर दें. इसलिए, कानून भी बहुत जरूरी है. कानून को ज्यादा सख्त बनाने से पहले जो मौजूदा कानून हैं, उन्हें ठीक तरीके से लागू करना होगा. बलात्कार के मामलों में कानून का सही ढंग से लागू न होना और पीड़ितों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार भी एक बड़ी समस्या है. बलात्कार के मामलों में सजा को कठोर तो बनाना होगा. साथ ही, पुलिस और न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी.

इस रक्षाबंधन खुद से करें वादा

क्या हमने कभी सोचा है कि रक्षाबंधन पर अपनी बहन की रक्षा का जो वचन हम देते हैं वो वचन सिर्फ हमारी बहनों तक ही सीमित क्यों है? क्या हमारी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी बहनों की रक्षा करना ही है? रक्षाबंधन का असली अर्थ सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते से कहीं ज्यादा है. यह हमें एक इंसान होने के नाते अपनी जिम्मेदारी याद दिलाता है. हमें हर महिला और हर लड़की की रक्षा और इज्जत करने की जिम्मेदारी है. इस रक्षाबंधन, आइए हम सिर्फ अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन न लें, बल्कि हर महिला की रक्षा करने का संकल्प लें. आइए हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहां हर महिला सुरक्षित महसूस करे. बहनों की भी जिम्मेदारी है कि अपने भाई को दूसरी लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं और इस रक्षाबंधन उनसे गिफ्ट में ये वादा लें कि वो किसी दूसरे की बहन के साथ गलत हरकत नहीं करेंगे.याद रखें, रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि एक बहुत ही अहम् जिम्मेदारी है…

Related Articles

Back to top button