Supertech Scam : हजारों बायर्स ही नहीं बैंकों को भी जमकर लगाया चूना, जानिए कौन है सरकारी खजाने का डकैत आर के अरोड़ा

7 दिसंबर 1995 को अरोड़ा ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर सुपरटेक ग्रुप की शुरुआत की थी. इसके बाद धीरे-धीरे अरोड़ा ने सिविल एविएशन, हाउसिंग फाइनेंस, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग के कारोबार में अपनी जड़े जमा लीं. इतना ही नहीं साल 2006 तक सुपरटेक ग्रुप ने कब्रिस्तान के भी बनाने बेचने का धंधा शुरू लिया था.

बीते मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा की रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के चेयरमैन और मालिक आर के अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. नोएडा के नामी बिल्डर कंपनी सुपरटेक का मालिक आर.के. अरोड़ा इस समय जेल में है. उसके घोटालों का कच्चा चिट्ठा अब खुल चुका है. आर के अरोड़ा नोएडा के नामचीन बिल्डरों के गिरोह का मुखिया था.

बताया जाता है कि जमीनों के नाम पर हजारों करोड़ों की धनराशि जो इसे सरकारी खजानों में प्राधिकरणों के जरिए जमा करनी थी. उस धनराशि को अरोड़ा अपनी अय्याशियों को पूरा करने में अनाप शनाप ढंग से खर्च करता था. बहरहाल, अरोड़ा को अब ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है और अभी वह जेल में हैं.

सुपरटेक ग्रुप के खिलाफ चल रहा हवाला का मामला

सुपरटेक ग्रुप के निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ रुपयों के लेनदेन, जमीन और संपत्ति के अधिग्रहण व स्थानांतरण में हेरफेर एवं धांधली को लेकर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई मामले दर्ज किए गए थे. जिसके मद्देनजर ED ने ग्रुप, उसके निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी. अप्रैल में ईडी ने रियल एस्टेट ग्रुप और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की थी.

कैसे पनपा आर के अरोड़ा का साम्राज्य

7 दिसंबर 1995 को अरोड़ा ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर सुपरटेक ग्रुप की शुरुआत की थी. इसके बाद धीरे-धीरे अरोड़ा ने सिविल एविएशन, हाउसिंग फाइनेंस, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग के कारोबार में अपनी जड़े जमा लीं. इतना ही नहीं साल 2006 तक सुपरटेक ग्रुप ने कब्रिस्तान के भी बनाने बेचने का धंधा शुरू लिया था. हालांकि सुपरटेक ग्रुप ने सिविल एविएशन में कोई खास काम नहीं किया लेकिन अपने भ्रष्टाचार और काले कारनामों से अरोड़ा ने खुद का जहाज खरीद लिया था लेकिन बाद में ये योजना सिरे नहीं चढ़ी और जहाज वापस करना पड़ा.

अरोड़ा के धंधे में कई सफेदपोशों का भी हाथ

नोएडा और ग्रेटर नोएडा की प्रॉपर्टीज पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि सुपरटेक ग्रुप के नाम पर अरोड़ा ने बिल्डरों का पूरा गिरोह बना कर रखा है. जानकार बताते हैं कि सुपरटेक ग्रुप के मालिक आर के अरोड़ा प्रकरण की अगर निष्पक्ष तरीके से जांच हो गई तो इस कई सफेदपोशों का नाम भी सामने आ सकता है. इसके अलावा मामले में कई प्रॉपर्टी डीलर्स, ब्रोकर्स और खाकपति से करोड़पति बने दर्जनों तथाकथित बिल्डर्स भी जेल जाएंगे.

क्या था ‘चढ़ावा दो जमीन लो’ का खेल

नोएडा-ग्रेटर नोएडा की हर गली-कूंचे में टुटपुंजिया बिल्डरों के पनपने का सिलसिला आज का नहीं है. सत्ता के संरक्षण में फले-फुले ये बिल्डर साल 2010 से ही सत्ता के नुमाइंदों को चढ़ावा चढ़ाकर जमीनें हथिया लेते थे. साल 2010 में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी. नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जमीनों के लेनदेन और रियल एस्टेट बिजनेस के सर्वे सर्वा तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार माने जाते थे. उस समय नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जमीन आवंटन के लिए जो नियम निर्धारित था उसके तहत आवंटी को पहले महीने जमीन की पूरी रकम का 10 प्रतिशत प्राधिकरण में आवेदन फॉर्म के साथ जमा करनी होती थी. इसके दूसरे महीने यह रकम 20 फीसद और बाद में 30 फीसद की राशि जमा करनी होती थी.

इस व्यवस्था में धांधली और हेरफेर की संभावना कम रहती थी क्यों जमीनों का आवंटन चरणबद्ध तरीके से किया जाता था. लेकिन मायावती के भाई ने प्राधिकरण के पावरफुल अफसर सरदार मोहिंदर सिंह को अपने प्रभाव में लिया और यह नियम बनवा दिया कि जो भी बिल्डर जमीन की रकम का 10 फीसद प्राधिकरण यानी ‘भाई जी’ (आनंद कुमार) को चढ़ावे के रूप में चढ़ा देगा उसे भूखंड आवंटित कर दिया जाएगा.

कैसे सरकार के 5611 करोड़ डकार गया अरोड़ा

जमीन आवंटन के नाम पर अरोड़ा ने प्राधिकरणों को जमकर चुना लगाया है. प्राधिकरणों ने आर के अरोड़ा को कई बार नोटिस दिया लेकिन उन्हें अरोड़ा अपने बाप की बपौती समझता था लिहाजा उसने नोटिस को हर बार नजरअंदाज किया. आर के अरोड़ा पर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का 1114 करोड़ और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का 1428.96 करोड़ रूपये बकाया है. इस तरह सुपरटेक बिल्डर्स के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा को कुल 5611.51 करोड़ प्राधिकरण को अदा करने हैं.

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