सर्वोच्च न्यायालय ने सेक्स वर्क को माना पेशा, पुलिस को केस दर्ज न करने के दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने आज एक अहम फैसला लेते हुए सेक्स वर्क को बतौर पेशा स्वीकार किया है। और यौनकर्मियों के हितों की रक्षा के लिए छह निर्देश भी जारी किये है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पुलिस को यौनकर्मियों के साथ किसी भी दुर्व्यवहार या यातना न करने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने आज एक अहम फैसला लेते हुए सेक्स वर्क को बतौर पेशा स्वीकार किया है। और यौनकर्मियों के हितों की रक्षा के लिए छह निर्देश भी जारी किये है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पुलिस को यौनकर्मियों के साथ किसी भी दुर्व्यवहार या यातना न करने के लिए कहा है।

साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि सेक्स वर्कर्स को ना तो गिरफ्तार किया जाना चाहिए, ना उन्हें सजा देनी चाहिए क्योकि वह वयस्क हैं और अपनी सहमति से यौन संबंध बना रहे हैं तो पुलिस को उनसे दूर रहना चाहिए।

वहीं कोर्ट ने मीडिया को भी सख्त हिदायत देते हुए कहा कि छापे या बचाव अभियान के दौरान पकड़े गए यौनकर्मियों की तस्वीरों को प्रकाशित या प्रसारित करना एक आपराधिक अपराध होगा, साथ ही कोर्ट ने सेक्स वर्कर के बच्चे को उसकी मां से अलग नहीं करने का निर्देश दिया बता दे कि कोर्ट ने यह आदेश आर्टिकल 142 के तहत दिया है। कोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने का पूरा अधिकार है।

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