तिरुपति मंदिर के लड्डू विवाद पर स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़ा बयान, “कोई ऐरा गैरा मंदिर नहीं”

‘देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में तिरुपति बाला जी मंदिर’, ‘लाखों करोड़ों श्रद्धालु तिरुपति बाला जी दर्शन करने जाते हैं’, ‘भक्तों को जानवरो की मिली चर्बी का प्रसाद खिलाया गया’, मंदिर के धर्माचार्य, संत, महंत, पंडे, पुजारी सब दोषी हैं.

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल मिलने के प्रमाण के बाद ही यह मामला लगातार गरमाता जा रहा है। देशभर में कई साधू संत इसके विरोध में है। और इस मामले में सियासत भी जोरों शोरों से हो रही है। इसी मुद्दे पर आरएसएसपी के रास्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होनें कहा है कि तिरुपति बाला जी मंदिर कोई ऐरा गैरा मंदिर नहीं, ‘देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में तिरुपति बाला जी मंदिर’, ‘लाखों करोड़ों श्रद्धालु तिरुपति बाला जी दर्शन करने जाते हैं’, ‘भक्तों को जानवरो की मिली चर्बी का प्रसाद खिलाया गया’, मंदिर के धर्माचार्य, संत, महंत, पंडे, पुजारी सब दोषी हैं.

गौरतलब है, कि आंध्र प्रदेश के सीएम ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए विपक्ष के सरकार के दौरान तिरुपति के तिरुमला प्रसाद में फिश ऑयल, चर्बी जैसे पदार्थों से बने घी से प्रसाद बनाए जाने का दावा किया। चंद्रबाबू नायडू के बयान के बाद देश के बड़े मंदिरों और तीर्थस्थलों में बनने वाले प्रसाद की जांच की मांग उठी। यहां तक कि बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को मिलने वाले प्रसाद का लैब टेस्ट करवाया गया।हालांकि बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में किस प्रकार की कोई मिलावट की बात सामने नही आई है।अधिकारियों ने जांच के बाद इसे पूरी तरह शुद्ध बताया है

पूर्व सरकार और समिति की भूमिका संदेहजनक

बता दें, तिरुपति मन्दिर का नाम भारत के सबसे बड़े मन्दिरों में से एक में शुमार है, यहां हर साल करोड़ों हिन्दू दर्शन करने के लिए आते हैं और उन सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में लड्डू ही दिया जाता है। प्रसाद वितरण और उससे जुडी हर व्यवस्था का संचालन एक समिति के द्वारा किया जाता है। इस समिति का नाम है तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् है। आपकी जानकारी के लिए बता दें प्रसाद के लड्डुओं को बनाने के लिए सामग्री भी यही समिति खरीदती है। फिर इसके स्वयंसेवकों द्वारा इन लड्डुओं को तिरुपति मंदिर में आने वाले भक्तों को एक निर्धारित कीमत पर बेच दिया जाता है। यहां एक बात और ध्यान देने वाली है। इस समिति का गठन हर दो साल में आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है।

हिन्दू धर्म में प्रसाद को लेकर मान्यता

हिन्दू धर्म में प्रसाद को लेकर बहुत बड़ी मान्यता है। इसका शाब्दिक अर्थ ही परमात्मा के साक्षात दर्शन करना होता है। यही कारण है कि जब भी लोगों को प्रसाद दिया जाता है तो इसकी शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। यहां तक की गंदे हाथों में प्रसाद लेना भी भगवान का अपमान माना जाता है। ऐसे में त्रिपाठी बालाजी के प्रसाद को लेकर जो कुछ भी खुलासा किया गया है वो हिन्दुओं के लिए बेहद हैरान और परेशान करने वाली बात है। बहरहाल, ये मसला दुनियाभर के हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है, ऐसे में इसकी संवेदनशीलता को समझना और दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना बेहद आवश्यक है।

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