छात्राओं को निर्वस्त्र करना टीचर्स को पड़ा भारी, निलंबन के साथ विभागीय जांच शुरू

हापुड़ के एक सरकारी स्कूल में दो दलित नाबालिग बेटियों को उन्हीं की टीचर्स ने निर्वस्त्र कर दिया. ये बेटियां करीब एक घंटे तक इसलिए निर्वस्त्र रही क्योकि उनकी टीचर्स को उनकी यूनीफार्म दूसरी छात्राओं को पहनाकर उनके फोटो अफसरों को भेजने थे. घरवालों को शिकायत के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने महज निलंबन करके मामले को रफा-दफा कर दिया है.

हापुड़ के एक सरकारी स्कूल में दो दलित नाबालिग बेटियों को उन्हीं की टीचर्स ने निर्वस्त्र कर दिया. ये बेटियां करीब एक घंटे तक इसलिए निर्वस्त्र रही क्योकि उनकी टीचर्स को उनकी यूनीफार्म दूसरी छात्राओं को पहनाकर उनके फोटो अफसरों को भेजने थे. घरवालों को शिकायत के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने महज निलंबन करके मामले को रफा-दफा कर दिया है.

कक्षा 4 की इन चचेरी बहिनों की उम्र महज आठ और नौ साल है. हापुड़ के इस स्कूल में पढ़ने वाले इन मासूम बेटियों के साथ इनकी टीचर्स ने ही घिनौनी हरकत की है. 11 जुलाई को जब दोनो बेटियां स्कूल में थी तो इनकी टीचर सुनीता और वंदना ने जबरन इनकी यूनीफार्म उतरवाई और इन्हें निर्वस्त्र कर दिया. इस दौरान दोनो बेटियों के पास उनके अंडरगार्मेंट भी नही थे. स्कूल टीचर सुनीता और वंदना करीब एक घंटे तक दोनो छात्राओं की यूनीफार्म दूसरी छात्राओं को बारी-बारी पहनाकर उनके फोटो खींचती रही और दोनो छात्राऐं मारे शर्म के रोती रही.

एक घंटे निर्वस्त्र रहने के बाद दोनो छात्राओं को उनके कपड़े वापिस मिले. शिक्षिकाओं ने धमकी दी कि इस बारे में अगर घरवालों को बताया तो स्कूल से नाम काट दिया जायेगा. दरअसल, टीचर्स की यह कवायद एक फर्जीवाड़े का हिस्सा था जिसमें उन्हें अफसरों को फोटो भेजकर यह साबित करना था कि उनके स्कूल की हर एक छात्रा को सरकारी यूनीफार्म मिल चुकी है और हर छात्रा यूनीफार्म पहनकर ही स्कूल आती है. घर पहुंची बेटियों ने जब घरवालों को आपबीती बताई तो परिजनों ने बीएसए से शिकायत की. बीएसए ने दोनो शिक्षिकाओं को निलंबित कर दिया है.

नाबालिग बेटियों को इस तरह उत्पीड़ित करना पाक्सो एक्ट का उल्लंघन है. जानकार मानते है कि कानून के तहत दोनो शिक्षिकाओं के खिलाफ इस एक्ट के तरह केस दर्ज करके उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए था.

एफवीओ- बीएसए अर्चना गुप्ता ने इस मामले को पुलिस को रेफर करने के बजाय अपने मातहत अधिकारी की तरफ खिसका दिया है. कोशिश है कि दलित बेटियों के साथ हुई इस शर्मनाक हरकत पर किसी तरह परदा पड़ जाये. हैरत की बात यह है कि हापुड़ के डीएम और एसपी की ओर से भी इस मामले में अभी तक कोई संज्ञान नही लिया गया है. लेकिन सवाल यह है कि विद्या के मंदिर में शर्मनाक करतूत के लिए शिक्षिकाओं को यह आजादी किसने दी.

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