UP Election : पहले चरण के मतदान के बाद क्या है यूपी का सियासी मिजाज, कौन पार्टी 20 और कौन 19

लखनऊ : पहले चरण का मतदान हो चुका है। पश्चिम यूपी जो किसान आंदोलन का केंद्र रहा वहाँ पहले चरण में वोट डाले जा चुके है।11 जिलों की 58 विधानसभा के लिए प्रत्यशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई। आपको बता दे कि देश के जाने माने राजनीतिक विश्लेषक का कहना है की पश्चिम यूपी में इस बार बीजेपी को 2017 जैसी सफलता मिलना मुश्किल होगा।

पश्चिम यूपी से शुरूहुए यूपी के चुनावी घमासान ने यूपी के चुनाव को एक गति देने का काम किया है।यूपी में सत्तारूढ़ दल बीजेपी के लिए यह चुनाव कठिन माना जा रहा है लेकिन जमीन पर कुछ और ही सियासी समीकरण देखने को मिल रहे है। बीजेपी की सरकार की कुछ कल्याणकारी योजनाएं बीजेपी सरकार को खारिज करने वालों को एक बार सोचने पर मजबूर कर सकती है. बीजेपी के लिए इस चुनाव में जो एक योजना सबसे ज्यादा काम कर रही है वह है मुफ्त राशन की योजना .

अगर हम यूपी के चुनाव का फौरी तौर पर विश्लेषण करे तो पाते है कि कोई भी राजनीतिक दल अपनी जीत के लिए पूर्णरूप से निश्चिन्त नहीं दीखता है। यह आप उनके चुनाव अभियान से भी देख सकते है। विपक्षी दलों की सभाओं में भीड़ तो आ रही है लेकिन क्या यह भीड़ विपक्ष के लिए और मुख्य रूप से लड़ाई में दिख रही समाजवादी पार्टी या अन्य किसी दल को वोट करेगी यह कहना मुश्किल है।

जनता में बीजेपी के प्रति नाराजगी तो दिख रही है लेकिन इस नाराजगी को वोट में बदलने के लिए विपक्षी पार्टियाँ कितना प्रयास कर रही है, यह सवाल सबसे बड़ा है। जनता में नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी ने अपनी पार्टी के सभी बड़े नेताओ को यूपी चुनाव प्रचार में झोक दिया है। बीजेपी समाजवादी पार्टी के गुंडाराज को याद दिलाकर अपने पक्ष में वोट करने की अपील करती दिख रही है।

वही बीजेपी से मुख्य लड़ाई में दिख रही समाजवादी पार्टी अपने सहयोगी दलों के भरोसे इस चुनावी वैतरणी को पार करने की जुगत में है। सपा ने पिछले चुनाव से सबक लेते हुए इस बार यूपी के छोटे छोटे दलों से गठबंधन किया है। उनके गठबंधन के सहयोगी पूरे यूपी में फैले हुए है। सपा ने जहा पश्चिम यूपी में आरएलडी से गठबंधन कर पश्चिम यूपी में वोटों के बॅटवारे को रोक कर अपने पक्ष में गोलबंद करने का सफल प्रयास किया है।

इसके अलावा सपा ने पूर्वांचल में सुभासपा और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन किया है तो वहीं मध्य यूपी में महान दल के साथ गठबंधन किया है। सपा ने इस बार बीजेपी के फॉर्मूले पर काम किया है जैसे बीजेपी छोटी छोटी पार्टियों को साथ लाकर सरकार बनती थी। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने निषाद पार्टी और अपना दल ( अनुप्रिया पटेल गुट ) के साथ गठबंधन किया है।

सपा ने प्रासपा और अपना दल ( कृष्णा गुट ) को भी अपने गठबंधन का हिस्सा बनाकर ये गुलदस्ता बनाने का प्रयास किया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा की बीजेपी के गुलदस्ते और सापा के गुलदस्ते में से किसका गुलदस्ता 10 मार्च को महकेगा और कौन सा गुलदस्ता बिखर जाएगा।

अगर यूपी के चुनाव और सभी पार्टियों के चुनाव प्रचार का विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि यूपी का चुनाव दो ध्रुवीय हो चुका है। एक तरफ बीजेपी गठबधन तो दूसरी तरफ सपा गठबंधन है। जबकि कुछ विधानसभा में कांग्रेस और बसपा इस चुनाव को त्रिपक्षीय बना रहे है।

कुछ राजनितिक विश्लेषक बसपा को चुकी हुयी पार्टी बोल रहे है तो वह बड़ी भूल कर रहे है। बसपा इस चुनाव में सबको अपसेट करने का काम करेगी भले ही वह सत्ता की लड़ाई की बड़ी दावेदार नहीं दिख रही हो लेकिन वह बड़ी शांति से चुनाव लड़ रही है। इस बार के चुनाव में बीएसपी का टिकट वितरण सबसे अलग रहा है और यही वजह है की वह बहुत जगह पर सीधी लड़ाई में आती हुई दिख रही है।

अब देखना होगा की 10 मार्च के नतीजे किसके सर पर सत्ता का ताज सजाते है। लेकिन यह तय है की इस बार के यूपी विधानसभा के चुनाव बड़े ही दिलचस्प होने जा रहे है। और चुनाव नतीजे चौंकाने वाले हो सकते है।

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