उत्तर प्रदेश की लोकसभा चुनाव-2024 के तीसरे चरण में 10 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को वोटिंग पूरी हो गई है। इस बीच चुनाव आयोग द्वारा जारी किए शाम छह बजे तक के आंकड़ों के तहत UP की इन 10 सीटों पर कुल 57.34 प्रतिशत वोटिंग हुई, इस दौरान मुस्लिम बहुल क्षेत्र संभल लोकसभा में वोटिंग सबसे आगे रहा। वोटिंग को लेकर यहां मतदाताओं में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला। जिसका नतीजा रहा कि संभल में सबसे अधिक 62.81 प्रतिशत मतदान हुआ। फिर दूसरे नंबर पर सबसे आगे रहने वाला जिला एटा रहा। यहां 59.17 प्रतिशत वोटिंग हुई और तीसरे नंबर पर रहे मैनपुरी में 58.59 प्रतिशत वोटिंग हुई।
अब अगर बात करें बीते दो चरण के मतदान की तो 20 अप्रैल को हुए पहले चरण के चुनाव में मात्र 61 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब पांच प्रतिशत तक कम था। इसी तरह 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान में 54.83 फीसदी मतदान हुआ था, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 7.93 प्रतिसत कम था। अब तीसरे चरण पर नजर डाला जाए तो इस बार का वोटिंग परसेंट भी पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब तीन फीसदी कम रहा। 2019 में तीसरे चरण में 60.52 प्रतिशत वोटिंग हुई थी मगर इस बार सिर्फ 57.34 प्रतिशत वोटिंग हुई।
तीसरे चरण में यूपी की जिन 10 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई, उनमें से कई सीटें ऐसी थी जो कभी सपा संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ़ मानी जाती थीं। उन्हीं में से एक फिरोजाबाद लोकसभा सीट भी है। इस लोकसभा क्षेत्र की अगर बात करें तो यहां से सपा के प्रोफेसर राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने चुनावी मोर्चा संभाला है। वहीं, बीजेपी से ठाकुर विश्वदीप सिंह और बसपा से चौधरी बशीर प्रत्याशी चुने गए हैं। मगर मुख्य मुकाबला तो बस अक्षय और विश्वदीप के बीच ही होना तय मन जा रहा है। यहां 2019 में बीजेपी ने कब्जा जमाया था। उससे पहले इस सीट से अक्षय यादव सांसद थे। फिरोजाबाद सीट पर इस बार 58.22 प्रतिशत मतदान हुआ है।
इसी तरह बदायूं लोकसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी का कब्ज़ा हुआ करता था। यहां से अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव सांसद हुआ करते थे। मगर इस बार इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर बड़ा पेंच फंसा रहा। इस सीट से अखिलेश ने पहले धर्मेंद्र, फिर चाचा शिवपाल और उसके बाद उनके बेटे आदित्य यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। यहां से बीजेपी ने दुर्विजय सिंह शाक्य और बसपा ने मुस्लिम खां को अपना प्रत्याशी घोषित किया हैं। अगर इस सीट पर 2019 में लोकसभा चुनाव पर नजर डाला जाए तो यहां से बीजेपी के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने चुनाव जीता था। मगर इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटते हुए किसी दूसरे के चेहरे पर दाव लगाया है। इस बार बदायूं सीट पर 54.05 प्रतिशत मतदान हुआ हुआ है।
ठीक इसी तरह मैनपुरी लोकसभा सीट भी सपा को गढ़ मानी जाती है। यहां से तो खुद अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में उतरती आई हैं। डिंपल यादव वर्तमान मैनपुरी की सांसद भी हैं। इस सीट पर मुलायम सिंह यादव का पुराण कब्ज़ा था जिसके चलते इसको उनकी परंपरागत सीट भी माना जाता था। मुलायम खुद यहां से पांच बार सांसद बन चुके थे। मगर उनके निधन के बाद डिंपल ने यहां का मोर्चा सँभालते हुए लोकसभा का उपचुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की। इस बार के चुनाव में अब उनका मुकाबला योगी सरकार में मंत्री रहे जयवीर सिंह से है। वहीं इस बार मैनपुरी में 58.59 प्रतिशत वोटिंग हुई।
अब आते हैं सबसे ज्यादा वोटिंग होने वाले जिले संभल पर। इस लोकसभा सीट को भी सपा का गढ़ माना जाता है। 2019 में यहां से सपा के टिकट पर शफीकुर्रहमान बर्क ने चुनाव जीता था और इस बार भी सपा ने बर्क को ही टिकट दिया था। मगर चुनाव घोषणा के ठीक कुछ दिन बाद ही उनका निधन हो गया। जिसके बाद पार्टी ने उनके विधायक पोते जियाउर्रहमान बर्क को टिकट दिया। वहीं यहां से परमेश्वर लाल सैनी बीजेपी के तरफ से और बसपा से सौलत अली चुनावी मैदान में उतरे हैं। देखा जाए तो यहां मुख्य मुकाबला परमेश्वर लाल सैनी और जियाउर्रहमान बर्क के बीच है। संभल में सबसे ज्यादा वोटिंग 62.81 प्रतिशत हुआ है।
वहीं हाथरस में 55.36 प्रतिशत, आगरा में 53.99 प्रतिशत, फतेहपुर सीकरी में 57.09 प्रतिशत, फिरोजाबाद में 58.22 प्रतिशत, मैनपुरी में 58.59 प्रतिशत, एटा में 59.17 प्रतिशत, बदायूं में 54.05 प्रतिशत, आंवला में 57.08 प्रतिशत और बरेली में 57.88 प्रतिशत मतदान हुआ।