मनीष सिसोदिया से 103 दिन बाद मिली पत्नी सीमा, बोली-मिझे फ़क्र है कि मेरे पति आज भी उसी ज़िद और तेवर में

उन्होने कहा कि 103 दिन बाद मनीष से मिलने का मौका मिला। ना जाने और कितने दिन मुझे,मेरे पति और परिवार को ऐसी साजिशे झेलनी पड़ेंगी

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में फरवरी से जेल में बंद हैं। आज 103 दिन बाद मनीष सिसोदिया ने अपनी पत्नी सीमा से मुलाकात की। मुलाकात से बात मनीष सिसोदिया की पत्नी को एक ट्वीट बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा है। पत्नी सीमा ने अपने ट्वीट में एक पत्र के जरिए सरकार पर निशाना साधा है। उन्होने कहा कि 103 दिन बाद मनीष से मिलने का मौका मिला। ना जाने और कितने दिन मुझे,मेरे पति और परिवार को ऐसी साजिशे झेलनी पड़ेंगी। सही कहते थे सब, राजनीति गंदी है, पर चाहे ये जो भी कर ले, ये अरविंद जी व मनीष के शिक्षा के सपने को सलाखों के पीछे कैद नहीं कर पाएँगे। शिक्षा की राजनीति जरूर जीतेगी।

मनीष सिसोदिया की पत्नी द्वारा ट्वीट किए गए पत्र में कहा गया कि जब ये लोग पार्टी बना रहे थे तो उस वक़्त बहुत से शुभचिंतकों से सुनने को मिला था की पत्रकारिता और आंदोलन तक तो ठीक है पर राजनीति के चक्कर में मत पड़ो। यहाँ पहले से बैठे लोग काम करने नहीं देंगे और फ़ैमिली को परेशान करेंगे वो अलग। लेकिन मनीष की ज़िद थी। अरविंद और अन्य लोगों के साथ पार्टी बनाई और काम करके भी दिखाया। इन लोगों की राजनीति ने बड़े बड़े लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की बात करने पर मजबूर किया।

उन्होने कहा कि आज वही ज़िद फिर से मनीष के चेहरे पर और बातों में दिखाई दी। जो आदमी पिछले 103 दिन से एक दरी बिछाकर फ़र्श पर सो रहा है, मच्छर, चींटे, कीड़े, गर्मी …… इस सब की परवाह किए बग़ैर आज भी उसकी आखों में एक ही सपना है – शिक्षा के ज़रिए देख को खड़ा करना है, अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर ईमानदार राजनीति करके दिखानी है। भले ही कितनी मुसीबतें आएँ, कितनी साज़िशें हो ।

उन्होने कहा कि पिछले तीन महीने में दुनिया का शिक्षा का इतिहास पढ़ डाला है। किस देश के किस नेता ने शिक्षा पर ज़िद करके काम किया और फिर वो देश आज कहाँ से कहाँ पहुँच गए है। जापान, चीन, सिंगापुर, इज़राइल, अमेरिका ….. भारत की शिक्षा में क्या अच्छा हुआ क्या कमी रह गई। आज की हमारी मुलाक़ात में मेरी तबियत के साथ साथ ये भी बातें की।

उन्होने कहा कि मुझे फ़क्र है कि मेरा पति आज भी अपनी उसी ज़िद और तेवर में है। अरविंद और मनीष के ख़िलाफ़ साज़िशें करके वे लोग खुश होंगे कि अरविंद के सिपाही को जेल में डाल दिया है। पर मैं देख रही हूँ कि तिहाड़ जेल की एक कोठरी में 2047 के शिक्षित और समृद्ध भारत का सपना मज़बूती से बुना जा रहा है। झूठ और साज़िशों के सामने ईमानदारी और शिक्षा की राजनीति का सपना जीतेगा ज़रूर ।

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