10 वीं- 12 वीं की बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन मोड में होगी, सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन कराने से किया इनकार…

CBSE/ ICSE/ राज्य बोर्ड की 10वीं और 12वीं बोर्ड की प्रस्तावित ऑफ़लाइन परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा किऐसी याचिका में सुनवाई करने से बच्चों में व्यवस्था में अधिक भ्रम फैलता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार का फैसला आदर्श नहीं बन सकता है। ऐसी याचिकाएं बच्चों में झूठी उम्मीद पैदा करती है। इस याचिका पर विचार करने का मतलब है कि ज़्यादा भ्रम पैदा करना।

जस्टिस एएम खानविलकर जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस सिटी रविकुमार की पीठ ने कहा यह याचिका प्री मेच्योर याचिका है। अधिकारी परीक्षा के लिए पहले से ही तारीख और ने व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा आपको जो कहना हज ऑथरिटीके पास जा कर कहें। लोग कैसी कैसी याचिका दाखिल कर देते हैं। गैरजिम्मेदाराना ढंगे से जनहित याचिका दुरपयोग हैं।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यों बोर्डों,CBSE और ICSE द्वारा प्रस्तावित 10 वीं और 12 वीं परीक्षा ऑफलाइन कराने के फैसले को चुनौती थी। सुप्रीम कोर्ट में 15 राज्यों के छात्रों ने अर्ज़ी दाखिल कर ऑफलाइन परीक्षा के बजाए वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से कराने की मांग की थी। याचिका में सभी बोर्डों को समय पर रिजल्ट घोषित करने के लिए निर्देश देने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के कारण सुधार परीक्षा के विकल्प देने की भी मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीबीएसई द्वारा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होनी है। वकील और बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा सहाय श्रीवास्तव ने अर्ज़ी दाखिल किया था।

याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के छात्रों के लिए 100 दिन ऑफलाइन कक्षा करने को कहा और 100 दिनों ऑफ़लाइन कक्षा के बाद ऑफ़लाइन परीक्षा आयोजित कराने की बात ही है। याचिका में कहा गया कि छात्रों को ऑफ़लाइन क्लास में शामिल होने के लिए माता पिता द्वारा हस्ताक्षरित अनापत्ति प्रमाणपत्र लाना होगा। लेकिन ज़्यादातर माता पिता अपने बच्चे को ऑफ़लाइन क्लास के लिए नहीं भेजना चाहते है।

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