69 Thousand Teachers: एक बार फिर अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन शुरू….आखिर कब मिलेगा न्याय…

पिछले 4 सालों से नौकरी कर रहे हजारों शिक्षकों के सामने नौकरी जाने का खतरा बना हुआ है। हालांकि कोर्ट ने आदेश में कहा कि फिलहाल कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर खराब असर न पड़े।

69 Thousand Teachers: यूपी सरकार के लिए 69 हजार शिक्षकों की भर्ती लगातार गले की हड्डी बनी हुई है. चयन में आरक्षण के नियमों का पालन न होने पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी आपत्ति जताई थी. वही मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री, विधायक, सांसद, बीजेपी कार्यालय का दरवाजा खटखटाने के बाद भी अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिला. इसके चलते सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का ठप्पा भी लग रहा. वहीं सोशल मीडिया पर भी अभ्यर्थियों के आंदोलन को लेकर अखिलेश यादव, संजय सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि ने आवाज उठाई.

इसके साथ ही कोर्ट के आदेश का पालन किए जाने की मांग को लेकर 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी एक बार फिर से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. अभ्यर्थी हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच से दिए गए फैसले का पालन किए जाने मांग करते हुए बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने धरने पर बैठ गये हैं।अभ्यर्थियों का कहना है कि हाई कोर्ट का जो फैसला आया है सरकार उसे जल्द से जल्द लागू करें और आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए उनकी नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें।

सरकार जल्द ही इस प्रकरण का करें समाधान

वही धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद अब लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली कर रही है. हम चाहते हैं की सरकार जल्द से इस प्रकरण का समाधान करें और एक शेड्यूल जारी करके बताएं कि हम पीड़ितों की नियुक्ति कब की जा रही है।

पटेल ने आगे कहा कि, कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मूल चयन सूची रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार ने अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया है केवल एक मीटिंग की है। हमारी मांग है कि सरकार हमारी चयन संबंधित प्रकिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी कर दे।

नौकरी कर रहे शिक्षकों के सामने नौकरी जाने का खतरा

हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जून 2020 में जारी शिक्षक भर्ती परीक्षा की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से सूची बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को तो झटका लगा ही है, साथ ही नई चयन सूची तैयार होने से पिछले 4 सालों से नौकरी कर रहे हजारों शिक्षकों के सामने नौकरी जाने का खतरा बना हुआ है। हालांकि कोर्ट ने आदेश में कहा कि फिलहाल कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर खराब असर न पड़े।

बता दें कि 69000 सहायक श‍िक्षक पदों के लिए न‍िकली इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी और इसके लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी।इस भर्ती के तहत करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिली है।

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