
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत के कृषि निर्यात ने नए बाजारों में प्रवेश किया है। पहली बार भारतीय फलों की खेप पश्चिमी देशों में भेजी गई है, जबकि चावल के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।
ऑस्ट्रेलिया को पहली बार समुद्री मार्ग से अनार निर्यात
हाल ही में, भारत ने पहली बार ‘सांगोला’ और ‘भगवा’ अनार की खेप को समुद्री मार्ग से ऑस्ट्रेलिया भेजा। इससे थोक निर्यात की लागत कम होगी और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय ताजे फलों की मांग बढ़ेगी। इससे पहले, 2023 में ‘भगवा’ अनार की एक परीक्षण खेप अमेरिका को भी भेजी गई थी। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले से भारत के कुल अनार निर्यात का लगभग 50% आता है।
जीआई टैग से फलों को अंतरराष्ट्रीय पहचान
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार द्वारा लागू किए गए भौगोलिक संकेत (GI) टैग ने भारत के विशिष्ट फलों के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- पुरंदर अंजीर: अद्वितीय स्वाद और बनावट के लिए प्रसिद्ध यह अंजीर यूरोप में लोकप्रिय हो रहा है। 2024 में भारत ने पहली बार इससे बना रेडी-टू-ड्रिंक जूस पोलैंड को निर्यात किया, जबकि 2022 में जर्मनी को भी इसकी खेप भेजी गई थी।
- वझक्कुलम अनानास: 2022 में केरल के एर्नाकुलम जिले से जीआई टैग प्राप्त ‘वझक्कुलम अनानास’ की पहली खेप दुबई और शारजाह भेजी गई, जिससे वहां के बाजारों में इसकी मांग बढ़ने लगी।
फल निर्यात में विविधता लाने की कोशिश
भारत सरकार नए प्रकार के फलों के निर्यात को भी बढ़ावा दे रही है:
- ड्रैगन फ्रूट (कमलम): 2021 में पहली बार भारत ने रेशे और खनिजों से भरपूर इस फल को लंदन और बहरीन को निर्यात किया। गुजरात के कच्छ और पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर के किसानों से इसका उत्पादन लिया गया था।
- लेटेकु (बर्मी अंगूर): 2021 में गुवाहाटी से दुबई को पहली बार असम का ‘लेटेकु’ फल भेजा गया।
- कटहल: 2021 में त्रिपुरा से पहली बार जर्मनी को ताजा कटहल निर्यात किया गया।
- राजा मिर्च (किंग चिली): 2021 में नागालैंड से ‘राजा मिर्च’ की पहली खेप गुवाहाटी से लंदन भेजी गई, जो इसके तीव्र स्वाद और परिरक्षण की कठिनाइयों के बावजूद सफल रही।
चावल निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी
भारत के चावल निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है:
- लाल चावल (बाओ-धान): 2021 में पहली बार असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में जैविक तरीके से उगाए गए लोहे से भरपूर ‘लाल चावल’ को अमेरिका भेजा गया।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में भारत का कुल चावल निर्यात 44.61% बढ़कर 1.37 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि जनवरी 2024 में यह 0.95 अरब डॉलर था। इस वृद्धि ने चावल को भारत के प्रमुख व्यापारिक निर्यातों में शामिल कर दिया है, जो देश के कृषि क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।