जियोपॉलिटिक्स से लेकर जियो-इकोनॉमिक्स तक.. भारत की अगुआई में IMEC बदलेगा वैश्विक समीकरण

India-Middle East-Europe Economic Corridor: भारत अब न सिर्फ एशिया की आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है, बल्कि एशिया से यूरोप तक की आर्थिक नब्ज को जोड़ने वाला केंद्र बनता जा रहा है। India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) यानी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर इसी वैश्विक पुनर्गठन की सबसे मजबूत कड़ी बनता दिख रहा है।

IMEEC को लेकर दुनिया भर की नजरें इस प्रोजेक्ट पर टिकी हैं, जिसे एक “नए वैश्विक बाइंडिंग फोर्स” के रूप में देखा जा रहा है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य सिर्फ व्यापार मार्ग बनाना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी और ऊर्जा आपूर्ति में नया युग शुरू करना है।

इस परियोजना के तहत भारत से होकर समुद्री और रेल नेटवर्क के ज़रिए पश्चिम एशिया, खाड़ी देश और यूरोप को जोड़ा जाएगा। यह न केवल माल ढुलाई में समय और लागत को कम करेगा, बल्कि एक भरोसेमंद सप्लाई चेन की स्थापना भी करेगा… जो आज के अस्थिर वैश्विक हालात में बेहद जरूरी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रोजेक्ट चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के मुकाबले में पश्चिमी देशों और भारत की ओर से पेश किया गया एक रणनीतिक जवाब भी है, जो पारदर्शिता, भागीदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।

भारत की भागीदारी इसमें अहम है। एक तरफ जहां भारत की रणनीतिक स्थिति इसे कॉरिडोर का केंद्र बनाती है, वहीं दूसरी तरफ इसकी डिप्लोमैटिक बैलेंसिंग… खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका के साथ रिश्तों में… इस पूरी योजना को व्यवहारिक बनाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

रेल, पोर्ट, डिजिटल कनेक्टिविटी और क्लीन एनर्जी जैसी परियोजनाओं के माध्यम से यह कॉरिडोर विकासशील देशों को भी वैश्विक नेटवर्क से जोड़ने की क्षमता रखता है। यह भारत के “विकसित राष्ट्र” बनने की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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