मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने डीन की हत्या की सुपारी भाड़े के हत्यारों को दे दी और किराये के शूटर्स ने भी वारदात को दिनदहाड़े अंजाम दे डाला. पुलिस ने खुलासा किया है कि प्रेमी बिल्डर के साथ आरोपी प्रोफेसर की महत्वाकांक्षाऐं कुलांचे मार रही थी. वह खुद डीन बनना चाहती थी और इसके लिए उसने कई बार राज्यपाल से डीन की शिकायत की थी. पुलिस ने इस वारदात में शामिल ऊधमसिंह गैंग के शार्प शूटर और दो साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया है.
11 मार्च की शाम को मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय से दून हाईवे के बीच विवि के डीन डॉ राजवीर सिंह पर कुछ हमलावरों ने जानलेना हमला किया. तमंचा और पिस्टल से डॉ राजवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गयी. कार ओवरटेक करके बदमाश आगे आये और डॉ राजवीर को निशाना बनाकर फायरिंग कर दी. डॉ राजवीर के कई गोलियां लगी. उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिलहाल वह खतरे से बाहर है.
वारदात को अंजाम देते वक्त मौके पर भीड़ इकठ्ठी हो गयी और हमलावर फरार हो गये. पुलिस इस मामले में कई दिनों तक वारदात का सुराग तक नही ढूंढ पायी. लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर जब पुलिस ने तफ्तीश को आगे बढ़ाया तो वारदात की कड़ियां जुड़ती चली गयी. सनसनीखेज वारदात के पीछे कोई और नही, विवि में ही कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आरती भटेले थी.
इश्क किसी भी उम्र में हो, हद से बाहर तो खतरनाक-
कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आरती भटेले तलाकशुदा है. उसके प्रेम संबध अनिल बालियान नाम के शख्स से करीब 2014 से है. अनिल बालियान मेरठ शहर का नामी बिल्डर है. 11 मार्च की शाम जब डॉ राजवीर पर हमला हुआ तो उस वक्त अनिल बालियान और डॉ आरती मेरठ के शाप्रिक्स मॉल में मौजूद थी. डॉ आरती और उनके प्रेमी का शाप्रिक्स मॉल में होना हमले के साथ जुड़ी रणनीति का हिस्सा था जिससे पुलिस को गुमराह किया जा सके.
डॉ आरती और उनका प्रेमी किसी हद तक ऐसा कर भी पाये. दरअसल, अनिल बालियान ने अपने पड़ौसी मुनेन्द्र की मदद से ऊधमसिंह गैंग के शार्प शूटर आशू को डॉ राजवीरसिंह की हत्या की सुपारी 5 लाख रूपये में दी थी. आशू 9 फरवरी 2022 को ही डासना जेल से छूटकर बाहर आया था.
फुलप्रूफ अटैक की साजिश से पहले हुई थी रेकी-
हमले से पहले कई दिनों तक आशू और उसके साथी नदीम ने डॉ राजवीर की रेकी की. हमले से पहले आशू को एक लाख रूपये एडवांस भी दिया गया था. हमले की पूरी प्लानिंग अनिल बालियान के पड़ौसी मुनेन्द्र के घर पर हुई थी. भाड़े का हत्यारा आशू मुनेन्द्र का साला है.
वारदात को अंजाम देने के लिए अनिल ने आशू को अपनी लायसेंसी पिस्टल .30 बोर भी दी थी. पिस्टल की मैगजीन में 63 गोलियां भी थी. प्लानिंग यह थी कि अगर तमंचे की गोली से डॉ राजवीर बच जाये तो उनके ऊपर पिस्टल से फायरिंग करनी है. हमलावरों ने ऐसा भी किया लेकिन दर्जनों राउंड गोलियां चलाने के बाद भी हमलावर डॉ राजवीर की हत्या नही कर पाये.
वारदात के बाद जब पुलिस के हाथ डॉ आरती भटेले तक पहुंचे तो वह अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ करके फरार हो गयी. पुलिस अभी तक उसे नही पकड़ सकी है. वारदात में शामिल नदीम भी अभी फरार है.
पुलिस का दावा है कि मुनेन्द्र हमले की साजिश में शामिल था और उसने अनिल और आशू के बीच हमले के सौदे में बिचौलिये की भूमिका अदा की थी. पुलिस ने अभी तक अनिल, मुनेन्द्र और आशू को गिरफ्तार कर लिया है.
अनिल-आरती के रिश्ते की शिकायत के बाद बढ़ी थी अदावत-
अनिल और तलाकशुदा डॉ आरती के प्रेम संबधों के बारे में पूरे विश्वविद्यालय के लोगो को पता था. डॉ आरती ने डॉ राजवीर के खिलाफ राज्यपाल से शिकायत की कि पात्र न होने के बाबजूद उन्हें डीन के पद पर नियुक्त किया गया है.
डॉ आरती ने जब बार-बार शिकायतें की तो डॉ राजवीर ने अनिल और आरती के प्रेम संबधों के बारे में अनिल की पत्नी को बता दिया. इसके बाद अनिल की पत्नी घर छोड़कर चली गयी. अनिल भी डॉ राजवीर से अदावत रखने लगा.
Report- Shuaib Zia