लखनऊ : उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी रही है, जिसका नतीजा ये हुआ है कि प्रदेश में अपराधों की संख्या में गुणात्मक सुधार आया है. इसी तर्ज पर योगी सरकार साइबर क्राइम को लेकर भी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत कार्य कर रही है. प्रदेश में साइबर क्राइम को लेकर जहां भी सूचना मिलती है, वहां पर न सिर्फ केस रजिस्टर किया जाता है बल्कि प्रभावी कार्रवाई को भी अंजाम दिया जाता है. विधानसभा में मंगलवार को एक सवाल के जवाब में सरकार की ओर से इसकी पुष्टि की गई है.
7570 व्यक्तियों के विरुद्ध हुई कार्रवाई
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने एक सवाल के जवाब में विधानसभा में कहा कि साइबर क्राइम के मामलों में हुई कार्रवाई के परिणाम बताते हैं कि हम काम कर रहे हैं. जहां कहीं भी सूचना मिलती है वहां मुकदमे भी दर्ज होते हैं और उस पर कार्रवाई भी होती है. 2022 से मार्च 2023 तक साइबर क्राइम के 13155 केस दर्ज किए गए हैं. इस दौरान 4372 में चार्जशीट दायर हुई है. 4606 में फाइनल रिपोर्ट लगाई जा चुकी है, 45 खारिज हुए, जबकि 7570 व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई. इसमें 89 करोड़ 45 लाख 67 हजार 617 रुपए की रिकवरी भी की गई. ये उदाहरण है कि जहां कहीं भी साइबर क्राइम की सूचना मिलती है उसे रजिस्टर करके कार्रवाई की जा रही है.
पूरी तरह से चरितार्थ की गई है जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
वित्त मंत्री ने कहा कि जब से प्रदेश में योगी सरकार आई है तब से अपराधों में कमी हुई है. जहां अपराध हुए हैं, वहां सख्त से सख्त सजा दी गई है. कुछ मामलों में ऐसी सजा दी गई है जो उदाहरण प्रस्तुत करती है. एनसीआरबी का आंकड़ा हो या लोकल आंकड़ा, अपराधों के प्रति सरकार ने जो जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है वो पूरी तरीके से चरितार्थ किया गया है. आज उत्तर प्रदेश एक मॉडल बना है पब्लिक परसेप्शन भी यही है कि कानून व्यवस्था की स्थिति पहले की सरकारों की तुलना में बहुत बेहतर है.