बीमार बुजुर्गों की मदद के लिए आगे आया अडानी फाउंडेशन, वृद्धाश्रम में आयोजित हुआ चिकित्सा शिविर…

NGO पुनर्जनी के मैनेजर राजन ने कहा, "अडानी फाउंडेशन ने संगठन पर बोझ कम कर दिया है क्योंकि कर्मचारियों को बुजुर्ग बीमार मरीजों को अस्पतालों में ले जाना मुश्किल हो गया था. अडानी फाउंडेशन का आभार व्यक्त करते हुए पुनर्जनी की टीम उनसे निरंतर सहयोग की उम्मीद करती है."

देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसकी बेहतर तरीके से देखभाल नहीं की जाती. इसमें परित्यक्त बच्चे, मध्यम आयु वर्ग के बेघर लोग और परित्यक्त बुजुर्ग अत्यधिक तादाद में शामिल हैं. उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. लेकिन, दुनिया अभी तक सहानुभूति से रहित नहीं है और ऐसे लोग व संस्थान अब भी मौजूद हैं जो ऐसे जरूरतमंद लोगों को देखभाल और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करते हैं.

केरल के त्रिवेंद्रम जिले में एक गैर सरकारी संगठन (NGO), ठीक यही काम कर रहा है जिसका नाम पुनर्जनी है. ये संगठन पुरुषों और निराश्रित महिलाओं के लिए काम करने वाला एक सामाजिक संगठन है. जो सामाज के कुछ परोपकारी लोगों द्वारा शुरू किया गया है. यह NGO 22 से 70 वर्ष के आयु वर्ग के अनाथों, वृद्ध नागरिकों और निराश्रितों को समर्थन और सहायता करने के इरादे से एक धर्मार्थ संगठन के रूप में पंजीकृत है.

संगठन का मुख्यालय केरल के बलरामपुरम पंचायत में है और वर्तमान में कुल 100 लोगों के साथ इसके विभिन्न स्थानों पर तीन केंद्र स्थापित हैं. इन सबको आश्रय, भोजन और तमाम दूसरी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. केंद्र इलाके में परोपकारी लोगों के दान पर चलाया जाता है.

हालांकि, ये दान संगठन द्वारा किए गए चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि कई बुजुर्ग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और उनकी चिकित्सा संबंधी जरूरतें बहुत अधिक हैं. मौजूदा संसाधनों से सभी की जरूरतों का ख्याल रखना मुश्किल था. इसी बीच अडानी फाउंडेशन मदद के लिए आगे आया.

अडानी फाउंडेशन ने स्थिति को ध्यान दिया और सभी जरूरतमंद लोगों को महीने में दो बार चिकित्सा सहायता प्रदान की. अडानी फाउंडेशन की टीम एक महीने में दो चिकित्सा शिविर का आयोजन करती है और अन्य चिकित्सा सहायता भी प्रदान करती है. वे सभी लोगों के लिए निरंतर अनुवर्ती और चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करते हैं.

NGO पुनर्जनी के मैनेजर राजन ने कहा, “अडानी फाउंडेशन ने संगठन पर बोझ कम कर दिया है क्योंकि कर्मचारियों को बुजुर्ग बीमार मरीजों को अस्पतालों में ले जाना मुश्किल हो गया था. अडानी फाउंडेशन का आभार व्यक्त करते हुए पुनर्जनी की टीम उनसे निरंतर सहयोग की उम्मीद करती है.”

साल 1996 में अडानी फाउंडेशन की स्थापना हुई. ये फाउंडेशन आज 16 राज्यों में व्यापक रूप से संचालित हो रहा है. जिसमें देश भर के 2,409 गांव और कस्बे शामिल हैं, जिसमें पेशेवरों की एक टीम एक ऐसे दृष्टिकोण के साथ काम करती है जो नवाचार, लोगों की भागीदारी और सहयोग का प्रतीक है.

3.70 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को छूना और चार प्रमुख क्षेत्रों – शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, सतत आजीविका विकास और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ सामाजिक पूंजी बनाने की दिशा में जुनून से काम करते हुए अडानी फाउंडेशन ग्रामीण और शहरी समुदायों के समावेशी और सतत विकास की दिशा में कार्य कर रहा है. और इस तरह राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है.

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