AMG ने डिजिटल बिजनेस न्यूज प्लेटफॉर्म 49 फीसदी हिस्सेदारी का किया अधिग्रहण, अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियां सेबी के दायरे में

अडानी समूह की मीडिया शाखा एएमजी मीडिया नेटवर्क्स ने राघव बहल के नेतृत्व वाले डिजिटल बिजनेस न्यूज प्लेटफॉर्म क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में लगभग 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया है. अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, अधिग्रहण 48 करोड़ रुपये में किया गया है.

अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियां सेबी के दायरे में- राव इंद्रजीत सिंह

कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडानी समूह की उन सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में है जो सेबी के दायरे में आती हैं और सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर नजर बनाए हुए है. एक लिखित उत्तर के माध्यम से लोकसभा में उनकी प्रतिक्रिया इस सवाल पर था कि क्या कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के वित्तीय विवरणों और अन्य नियामक प्रस्तुतियों पर कोई समीक्षा की है.

इस पर मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने देते हुए कहा, “समिति को दो महीने के भीतर अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है. इसलिए, मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उप-न्यायिक है.”

AMG मीडिया नेटवर्क्स की बड़ी उपलब्धि

अडानी समूह की मीडिया शाखा एएमजी मीडिया नेटवर्क्स ने राघव बहल के नेतृत्व वाले डिजिटल बिजनेस न्यूज प्लेटफॉर्म क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में लगभग 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया है. अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, अधिग्रहण 48 करोड़ रुपये में किया गया है. अधिग्रहण की घोषणा मूल रूप से पिछले साल मई में की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने DRI के आरोपों को किया खारिज

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अदानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड (APML), अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड (APRL), महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (MEGPTCL) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली. शीर्ष अदालत ने आयातित माल का अति- मूल्यांकन मामले में अडानी समूह की विभिन्न ट्रांसमिशन कंपनियों और अन्य के खिलाफ सीमा शुल्क विभाग की अपील को खारिज कर दिया.

मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने काफी समय तक दोनों पक्षों को सुनने के बाद APML, APRL, MEGPTCL और अन्य के खिलाफ सीमा शुल्क विभाग द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि एपीएमएल, एपीआरएल और एमईजीपीटीसीएल की परियोजना लागत समकक्षों/प्रतिस्पर्धियों की कीमत के समान या उससे कम थी.

अदालत ने पाया कि यह कीमत केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित प्रति मेगावाट लागत के बेंचमार्क से कम है. मामले में तय अनुबंध एक ईपीसी अनुबंध था जो दुनिया भर में बोली लगाने के बाद सबसे कम बोली लगाने वाले को दिया गया था जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली कहा जाता है. सर्वोच्च न्यायालय ने इसके द्वारा दोनों निचले प्राधिकारियों अर्थात न्यायनिर्णयन प्राधिकरण के साथ-साथ अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) के निष्कर्षों को बरकरार रखा और पुष्टि की और कहा कि पूंजीगत वस्तुओं के आयात में कोई अधिक अति- मूल्यांकन नहीं हुआ है.

APML और APRL ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली (ICB) का पालन करते हुए महाराष्ट्र और राजस्थान राज्य में थर्मल पावर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए आवश्यक वस्तुओं का आयात किया. इसी तरह, पीएमसी प्रोजेक्ट्स (इंडिया) प्रा. लिमिटेड जिसे आईसीबी के बाद अनुबंध से सम्मानित किया गया था. जो एमईजीपीटीसीएल के लिए ट्रांसमिशन लाइन और सबस्टेशन पैकेज की स्थापना के लिए आयातित सामान था.

बता दें कि मई 2014 में, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अडानी ट्रांसमिशन की कंपनियों एपीएमएल, एपीआरएल, एमईजीपीटीसीएल और अन्य को पूंजीगत वस्तुओं के आयात में अधिक मूल्यांकन का आरोप लगाते हुए एससीएन जारी किया था. जिस मामले की सुनवाई के क्रम में शीर्ष अदालत ने अडानी समूह पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया.

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