फर्जी तरीके से शिक्षक की नौकरी पाने वाले लोगों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का डंडा चला है। गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय सुनाया। दरअसल, गुरुवार को उच्च न्यायलय में रीता पांडेय और 7 अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई हुई। यह याचिका फर्जी तरीके से नौकरी पाने पर दंड से रियायत पाने के लिए इलाहबाद उच्च न्यायलय में दी गयी थी।
मामले की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट के जस्टिस आलोक माथुर ने इस याचिका को शिरे से खारिज कर दिया। अपने फैसले में जस्टिस अलोक माथुर ने कहा कि किसी फर्जी तरीके से नौकरी पर नियुक्त हुए सहायक शिक्षकों को कोई भी राहत या रियायत नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता देवरिया जिले के मां रेशमा कुमारी बालिका इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं।
पूरे मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप था कि इन्होने फर्जी तरीके से सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति प्राप्त की है। इसी क्रम में सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा, गोरखपुर ने बीएसए देवरिया को इनकी जांच करने के आदेश दिए थे। बीएसए देवरिया ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह बताया कि आरोपी याचिकाकर्ता के खिलाफ शैक्षणिक अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके नौकरी पाने के आरोप प्रथम दृष्टया सही है। इसके बाद जब प्रशासन ने कार्रवाई करना शुरू किया तब आरोपी याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख किया था।
बता दें, की याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कोर्ट को बताया कि उन्होंने 10 साल इस सेवा में बिताएं हैं। ऐसी स्थिति में उनकी दोबारा जांच कराना उचित नहीं है और विभाग उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहा है। इस दलील पर जस्टिस आलोक माथुर ने यह फैसला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि फर्जी तरिके से नौकरी पाने वालों को कोई राहत नहीं जा सकती।