उत्तर प्रदेश में आगामी होने वाले 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। एक तरफ जहां पर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है । तो वहीं पर दूसरी तरफ अब मतदाताओं ने भी अपनी नाराजगी दिखानी शुरू कर दी है । क्योंकि मतदाताओं को अभी तक अपने विधायक से इस बात की अपेक्षा थी कि वह उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरी करेंगे।
लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता है इसलिए मतदाताओं ने खुलेआम विरोध प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया है। जी हां ऐसा ही एक मामला अमेठी जनपद मुख्यालय गौरीगंज तहसील एवं विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत ग्रामसभा मेंदन मवई के सूजापुर गांव से प्रकाश में आया है । जहां पर ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का पूरा मन बना लिया है।
उन्होंने गांव में जगह जगह पर बैनर लगाए दिए हैं उसमें लिखा हुआ है “रोड नहीं तो वोट नहीं” और “सूजापुर की जनता का यही संकल्प, नेता ढूंढ है स्वयं विकल्प” यही नहीं सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस गांव के प्रत्येक घर में काले झंडे लगे हुए हैं जो बिना कुछ बोले अपना विरोध प्रदर्शित करते रहते हैं । ग्रामीणों का कहना है कि यहा पर बाँदा टांडा राष्ट्रीय राजमार्ग से निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 931 को मिलाने वाले संपर्क मार्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय है।
सड़क पर जगह-जगह जबरदस्त गड्ढे हुए हैं जहां पर हमेशा जलभराव हुआ रहता है। ग्रामीणों को आने जाने में बड़ी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस सड़क को 18 वर्ष पहले बीजेपी विधायक दादा तेजभान सिंह ने बनवाई थी इसके बाद से इस सड़क की मरम्मत नहीं हुई जिसके कारण इसकी स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। यह 185 विधानसभा क्षेत्र गौरीगंज की धरती है जहां पर समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह हैं। यही नही राकेश प्रताप सिंह पिछले 10 वर्षों से यह के विधायक हैं और इस बीच में 3 वर्ष पहले सड़क पर लेपन हेतु कार्य लगाया गया।
लेकिन यह कार्य सिर्फ कागजों पर किया गया पैसा खारिज हो गया लेकिन सड़क की हालत जस की तस बनी रही। यही नहीं गांव के अंदर नालियां नहीं बनी है जिसके कारण गांव में जल निकासी की बड़ी समस्या है। गांव के बाहर बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक लोगों को पहुंचने का रास्ता नहीं है। एक तरह से यूं कहें तो दीपक तले अंधेरा है। क्योंकि यह जनपद मुख्यालय ब्लॉक से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसके बावजूद यह विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया है ऐसे में ग्रामीणों का विरोध लाजमी है।
सिर्फ सूजापुर ही नहीं आसपास के 3-4 गांव के लोगों का कहना है कि जब तक हम लोगों की समस्या का समाधान नहीं किया जाता है तब तक हम लोग चुनाव का बहिष्कार करते रहेंगे । आने वाले 27 फरवरी को यहां के बूथ पर कोई भी वोट डालने नहीं जाएगा। अब जितने भी नेता है सभी अपना विकल्प ढूंढ लें क्योंकि हम लोग वोट नहीं करेंगे । यही तो हम लोगों का हथियार है जो 5 साल में एक बार हमारे हाथ आता है। इसके बाद नेता अपने मन की करते हैं जब चुनाव आता है तो गाँव में आते हैं बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं फिर उन वादों का क्या हुआ दे तो सिर्फ वादे ही रह जाते हैं।