भारत बायोटेक कंपनी ने BHU के 11 वैज्ञानिकों पर किया 5 करोड़ का मानहानि का दावा, विश्वविद्यालय में हड़कंप

देश में कोरोन से बचने के लिए भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सीन पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कोवैक्सीन के साइडइफेक्ट वाले रिसर्च पेपर को इंटरनेशनल जर्नल ने वापस ले लिया है।

वाराणसी। देश में कोरोन से बचने के लिए भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सीन पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कोवैक्सीन के साइडइफेक्ट वाले रिसर्च पेपर को इंटरनेशनल जर्नल ने वापस ले लिया है। रिसर्च पेपर तैयार करने के तरीकों पर हुए विवाद के बाद गहनता से समीक्षा कर इसे पब्लिक डोमेन से हटा लिया गया है। वही को वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने बीते 13 सितंबर को BHU के 11 वैज्ञानिकों पर 5 करोड़ रुपए के मानहानि का दावा किया है। बीएचयू के प्रो.शंख शुभ्रा चक्रवर्ती सहित रिसर्च में शामिल 11 वैज्ञानिकों पर भारत बायोटेक कंपनी द्वारा मानहानि का दावा ठोक जाने से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ हुआ। वही रिसर्च को लेकर नेचर के ड्रग सेफ्टी जर्नल के एडिटर ने बताया कि लोगों पर वैक्सीन के इफेक्ट को गलत तरीके से दिखाया गया है। ऐसे में इस रिसर्च को पब्लिक प्लेटफॉर्म से हटा लिया गया है।

जर्नल में प्रकाशित हुआ था बीएचयू के वैज्ञानिकों का रिसर्च, शोध के तरीके पर उठे थे सवाल

भारत बायोटेक कंपनी के द्वारा बनाए गए कोवैक्सीन को इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए सरकार की तरफ से मुफ्त लगाया गया था। मई के महीने में कोवैक्सीन को लेकर एक रिसर्च कोवैक्सीन के ‘सुरक्षा विश्लेषण’ (बीबीवी152) नाम से जर्नल में प्रकाशित किया गया था। इस रिसर्च में बताया गया था कि उत्तर भारत में कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों पर एक साल तक स्टडी किया गया। इस रिसर्च में 1024 लोगो को शामिल किया गया। दावा किया गया कि इस रिसर्च में शामिल एक-तिहाई लोगों को श्वांस संबंधी इंफेक्शन, खून का थक्का जमने, नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर सहित स्किन संबंधी रोग होने की बात सामने आई है। रिसर्च पेपर लोगों से टेलीफोनिक बातचीत करके पेपर तैयार किया गया था। जिसमे 635 किशोर और 291 व्यस्क शामिल थे। 304 लोगों में श्वांस की दिक्कत थी। किशोरियों में मासिक धर्म की अनियमितता की भी बात कही गई थी। ऐसे में टेलीफोन पर लोगो से बात कर रिसर्च तैयार करने पर सवाल उठे थे।

रिसर्च को BHU ने बताया था अधूरा, रिसर्च को बैन करने की हुई थी मांग

बीएचयू के वैज्ञानिकों के रिसर्च में कोवैक्सीन के प्रकाशन के बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेरा। सोशल मीडिया से लेकर सरकार पर विपक्ष ने चौतरफा हमला किया। रिसर्च पर आईसीएमआर का नाम था, विवाद के बाद आईसीएमआर ने 28 मई को रिसर्च पेपर को बैन करने की मांग कर खुद को किनारे कर लिया। वही रिसर्च को लेकर हुए विवाद को लेकर आईसीएमआर द्वारा आईएमएस बीएचयू के डायरेक्टर प्रो. एसएन संखवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। नोटिस के बाद डायरेक्टर ने एक जांच कमेटी बनाकर इस रिसर्च को आधा अधूरा बताया था।

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