स्वामी प्रसाद मौर्या के विवादित बयान पर बीजेपी नेता अपर्णा यादव का जवाब, सब धर्मों के हैं राम

अब बीजेपी नेता अपर्णा यादव का रामचरितमानस को लेकर बयान सामने आया है। अपर्णा यादव ने कहा कि मैं समझती हूँ राम चरित्र मानस एक ऐसा ग्रंथ है जो कितनी भाषाओं में लिखा गया है और कितना बृहत है।

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रया सामने आ रही है। अब बीजेपी नेता अपर्णा यादव का रामचरितमानस को लेकर बयान सामने आया है। अपर्णा यादव ने कहा कि मैं समझती हूँ राम चरित्र मानस एक ऐसा ग्रंथ है जो कितनी भाषाओं में लिखा गया है और कितना बृहत है।

अपर्णा यादव ने कहा कि इसको जो भी व्यक्ति पढ़ता है और इसका जो चित्रण देखता है टीवी पर हो मंच पर हो हमेशा नया जैसा प्रतीत होता है। इस तरीके की बाद किसी भी राजनेता के कहने के लिए मुझे नहीं लगता कि ये उचित है और इस तरीके की मानसिकता रखना रामचरितमानस के बारे में ये बहुत ही निगृष्ट मानसिकता है। उन्होने कहा कि ये अपने आप चरित्र के बारे में वो दर्पण कर रहे हैं और मैं समझती हूँ कि राम जी ने बहुत बड़ा उदाहरण दिया था जब उन्होंने शबरी के बेर खाए थे और वो भी झूठे बेर खाए थे।

अपर्णा यादव ने कहा कि मैं समझती हूँ कि जो इस तरीके की बात कह रहे हैं उन्होंने राम चरित्र मानस को पढ़ा ही नहीं और पढ़ा क्या उसको जीने का एक ढंग होना चाहिए आज भी हम लोग ये कहते हैं कि राम जैसा ही हमारा पुत्र हो अगर पुत्र हो तो श्री राम जैसा हो तो इस तरीके की बात कहना प्रभु के बारे में ये अच्छी बात नहीं है और राम भारत का चरित्र है राम सब धर्मों का है। उन्होने कहा कि राम के बारे में बड़े-बड़े लोगों ने कहा है तो मैं समझती हूँ और हिंदुओं ने भी कहा है, मुसलमानों ने भी कहा है, Christians ने भी कहा है, तो राम चरित्र का अह बात है, हमने और आपने भगवान को देखा नहीं है, मगर उनके चरित्र के बारे में हमने सुना है। और हम जब वो चीज महसूस करते हैं, तो जब राम का नाम लेते हैं, तो आराम मिलता है। तब शांति मिलती है, तो मैं समझती हूँ कि शांति के प्रति के बारे में इस तरीके की बात करना अच्छी बात

आपको बतां दे कि रविवार को समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दे दिया। उन्होंने रामचरितमानस के रचयिता को अप्रत्यक्ष तौर पर ढोंगी बताया और कुछ चौपाइयों का सन्दर्भ देते हुए उन्हें तुलसी के रामचरितमानस से बाहर करने की बात कही। स्वामी प्रसाद मौर्या के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है।

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