CM योगी की मंशा को पलीता लगाकर मेरठ विकास प्राधिकरण और बिजली विभाग चलवा रहा थे हाजी याकूब की फैक्ट्री में अवैध गोश्त का धंधा, छापे के बाद फैमिली संग फरार हुआ याकूब

बुलडोजर बाबा के नाम से ख्याति हासिल करने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस बार की सरकार माफियाओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई की उपलब्धि है. योगी की इस इमेज से ही बीजेपी को दोबारा जनता का वोट मिला. लेकिन मेरठ में सरकार की जड़ों में मठ्ठा डालने में अफसरों ने कोई कसर नही छोड़ी. कार्टूनिस्ट का सिर काटने वाले के लिए 51 करोड़ का ईनाम के ऐलान से सुर्खियों में आये हाजी याकूब कुरैशी की दबंग छवि को 2019 में योगी आदित्यनाथ ने जमीदोज किया और मेरठ की जनता को एहसास कराया कि लोकतन्त्र में ऐसे माफियाओं की कोई जगह नही. मगर मुख्यमंत्री का मंत्र मेरठ के अफसर नही समझ पाये. अफसरों ने जमकर फीलगुड किया और याकूब के पैरोकार और उसके काले धंधे के सरपरस्त बन गये. 4 साल से बंद पड़ी मीट की फैक्ट्री में मिला गोश्त का काला कारोबार इसकी एक नजीर भर है.

माफियाओं के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जोर पूरे प्रदेश में चलता है लेकिन मेरठ में मीट माफिया याकूब कुरैशी के लिए योगी सरकार के अफसर उसके सरपरस्त बन गये. बिजली विभाग, विकास प्राधिकरण और पुलिस की मेहरबानी से याकूब कुरैशी की बंद पड़ी फैक्ट्री में अवैध मीट पैकजिंग का कारोबार कई महीने से धड़ल्ले से जारी था. पुख्ता मुखबिरी के बाद हुई छापेमारी के बाद हजारों टन जानवरों को गोश्त इस फैक्ट्री से बरामद किया गया है. पुलिस ने हाजी याकूब कुरैशी और उसके परिवार समेत 14 लोगो के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया है.

यूपी की बसपा सरकार में मंत्री रहे हाजी याकूब कुरैशी की यह फैक्ट्री मेरठ के खरखौंदा थाना इलाके में है. इसी इलाके से सटे किठौर सर्किल में हाल के दिनों में एक ट्रैनी आईपीएस चन्द्रकांत मीणा को एएसपी बनाकर भेजा गया है. पिछले एक पखवाड़े से याकूब की बंद फैक्ट्री में अवैध कारोबार की खबरें हवा में थी. लेकिन हौसला दिखाया किठौर एएसपी चन्द्रकांत मीणा ने. एएसपी ने अपनी टीम के साथ बुधवार की रात करीब ढाई बजे याकूब की फैक्ट्री में छापा मारा.

इस फैक्ट्री में अवैध गोश्त का जखीरा मिला. पुलिस ने मौके पर मिले एक दर्जन लोगो को हिरासत में लिया और फिर आला अफसरों के निर्देश के लिए जुट गये. अगली सुबह आला अफसरों के निर्देश पर फैक्ट्री में कई विभागों के अधिकारी पहुंचे और छापामार कार्रवाई शुरू की गयी. गोश्त के जरीखे की जब नापतौल कराई गयी तो 2400 कुंटल पैक्ड मीट और 60 कुंटल खुला मीट पाया गया. फैक्ट्री में यह गतिविधि अवैध थी और इसके लिए किसी भी विभाग की परमीशन नही थी.

जबकि हाजी याकूब के बेटे और अल फहीम मीटेक्स के एमडी हाजी इमरान याकूब ने एक मीडिया हाउस को बताया कि मेरठ विकास प्राधिकरण से उन्हें 6 हजार टन मीट पैकजिंग की अनुमति मिली है. 5700 टन माल वह बाहर भेज चुके है और 300 टन माल की पैकजिंग चल रही थी तभी पुलिस ने छापा मार दिया. प्लांट में स्लाटरिंग पूरी तरह बंद है. मीट प्लांट में कोई गड़बड़ी नही है.

मेरठ विकास प्राधिकरण क्यों बना हाजी याकूब का पैरोकार-

2019 में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जब मीट माफियाओं के खिलाफ प्रदेश व्यापी अभियान चलाया तो उसकी जद में हाजी याकूब की यह फैक्ट्री भी आयी. फैक्ट्री का एक बड़े हिस्से के निर्माण ग्रामसभा की सरकारी जमीन पर कराया गया था. इसके अलावा जिस जमीन पर फैक्ट्री का निर्माण किया गया वह कृषि उपयोग की थी. मेरठ विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माण को ध्वस्त किया और बाकी फैक्ट्री को यथास्थिति में रखने के लिए पूरी कोशिश की.

इस फैक्ट्री में मीट पैकजिंग की अनुमति क्या मेरठ विकास प्राधिकरण ने जारी की थी, इसकी जानकारी के लिए जब भारत समाचार ने प्राधिकरण के वीसी को फोन किया तो उनके पीए ने बताया कि साहब बैठक में है. प्राधिकरण के सचिव ने फोन पर बात तो की लेकिन बताया कि उन्हें इसका जानकारी नही है. इसके घंटों बाद खबर लिखे जाते वक्त भी उनसे बात की गयी लेकिन इस बार उनका फोन भी उनके पीए ने रिसीव किया. जबाब दिया कि साहब बैठक कर रहे है.

बेजुबान और निरीह जानवरों को कत्ल करके पैसा कमाने वाले हाजी याकूब की अवैध फैक्ट्री को कानूनी जामा पहनाने के लिए प्राधिकरण के अफसरों ने मेरठ से लेकर लखनऊ तक कोशिश की लेकिन जमीन का लैंडयूज नही बदल सका. बाबजूद इसके अवैध निर्माण की गयी कागजों में सील्ड फैक्ट्री यूं ही खड़ी रही. इसके लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन हाजी याकूब के रसूख हमेशा प्राधिकरण के अफसरों को फीलगुड कराते रहे.

बिजली विभाग ने की याकूब पर कृपा की निर्वाध आपूर्ति-

ठीक यही हालत मेरठ के बिजली विभाग के अफसरों की रही. हाजी याकूब के पैसे के सामने नतमस्तक अफसरों ने बंद पड़ी सील्ड फैक्ट्री में बिजली का कनैक्शन दे दिया. दलील दी गयी कि फैक्ट्री के अंदर एक पोल्ट्री फार्म संचालित है. लेकिन इस पोल्ट्री फार्म की आड़ में मीट पैकजिंग और प्रोससिंग यूनिट चलती रही. कुछ महीने पहले जब बिजली बिल 50 लाख रूपये से ज्यादा बकाया हो गया तो बिजली विभाग ने कनैक्शन काट दिया.

बिजली अफसरों की मेहरबानी इतनी अधिक रही कि 30 लाख रूपये बिल में जमा करने के बाद फिर से कनैक्शन जोड़ दिया गया. बिजली विभाग के अफसर मीटर की रीडिंग भी लेने जाते थे और वहां चल रही गतिविधियों से वह वाकिफ भी थे बाबजूद इसके अवैध गोश्त के धंधे को लेकर सरकारी मुलाजिमों की जुबान सिली रही. न तो पुलिस और न ही विभाग के बड़े अफसरों को भी गोश्त के अवैध कारोबार के बारे में कोई जानकारी नही दी गयी.

इलाके की पुलिस ने फैक्ट्री में गतिविधियों पर क्यों मूंदी अपनी आंखें-

सरकारी सिस्टम के आंख मूंदने की कहानी यहीं तक सीमित नही है. बुलंदशहर-मेरठ हाईवे के किनारे बनी इस अवैध फैक्ट्री में हर रोज सैकड़ो वाहनों का आवागमन होता था. छोटे से लेकर बड़े वाहन और कारें तक आती जाती थी. फैक्ट्री के अंदर मजदूरों की भी आवाजाही थी. पूरे सरकारी अमले को मालूम था कि फैक्ट्री बंद है. इसके बाबजूद भी इलाके की पुलिस और खुफिया यहां धड़ल्ले से चल रही गतिविधियों को लेकर चुप्पी साधे रही. इलाके के थानेदार या पुलिस के किसी सिपाही ने कभी न गोश्त की गाड़ियों को चैक किया और न ही कोई सवाल खड़ा किया.

याकूब की फैक्ट्री में आने वाला गोश्त आसपास के इलाकों से होकर ही यहां तक पहुंचता था. जाहिर है जब पशुओं के कटान की किसी को अनुमति नही तो फिर इतनी बड़ी तादात में जानवरों का कटान आखिर कहां हो रहा था. क्या पशुओं के अवैध कटान पर पुलिस की नजर नही पहुंची. यह पशु केवल भैंस या भैंसें थे या फिर गोवंश भी इन कटान का हिस्सा थे. पशुओं के कटान के लिए कोई एक जगह तय थी या फिर धड़ल्ले से दर्जनों जगहों पर पशुओं का कटान हो रहा था. जहां पशु काटे जाते थे वहां से फैक्ट्री तक पहुंचने के बीच क्या पुलिस ने आंखें मूंदी हुई थी.

इतनी बड़ी तादात में कटान के लिए कहां से आये पशु-

जो गोश्त की जखीरा मिला वह किस पशु या प्राणी का है, यह पता लगाने के लिए मीट के सैंपल लेकर टेस्ट लैब को भेजे गये है. अवैध कटान पर वेटनरी विभाग के अफसरों की भूमिका भी सवालों के कटघरे में है. महीनों से इलाके में कटान जारी था तो विभाग क्या कर रहा था. इतनी बड़ी तादात में जानवर आखिर कहां से लाये गये. इन्हें काटने से पहले या बाद में वेटनरी विभाग का मुखबिर तन्त्र आखिर क्यों सक्रिय नही हुआ.

19 घंटे चली कार्रवाई के बाद मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी के आदेश पर खरखौंदा थाने में हाजी याकूब कुरैशी, उनकी पत्नी, उनके दो बेटे इमरान और फिरोज तथा 10 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 269, 270, 272, 273 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. 10 लोग इस केस में गिरफ्तार है बाकी हाजी याकूब और उनकी पत्नी, बेटों की तलाश की जा रही है. प्रभाकर चौधरी ने बताया कि इस मामले में गैंगस्टर एक्ट के अन्तर्गत कार्रवाई की जायेगी.

इलाके का राजस्व विभाग की याकूब के रसूखों के सामने सोया रहा-

याकूब की फैक्ट्री कृषियोग्य भूमि पर बनी है. राज्य सरकार का मुलाजिम होने के नाते इस इलाके के लेखपाल को भी इलाके में चल रही अवैध धंधों की जानकारियां आला अफसरों तक पहुंचानी होती है. खास करके वह मामला जो हमेशा से सरकार की आंखों की किरकिरी रहा हो. लेकिन राजस्व और प्रशासन से जुड़े अफसर, लेखपाल भी इस ओर आंखें मूंदे रहे. सवाल यह कि याकूब की अवैध फैक्ट्री को ओर कोई सरकारी अफसर या मुलाजिम देखना क्यों नही चाहता था.

मेरठ के जिलाधिकारी के0 बालाजी ने अपने बयान में कहा है कि जो विभागों की इस मामले में संदिग्ध भूमिका मिली है उनकी जांच कराई जा रही है. उन अफसरों, कर्मचारियों की भूमिका भी तय होगी जो इसके लिए जिम्मेवार है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

इसी इलाके के बीजेपी विधायक और हाल ही में ऊर्जा राज्यमंत्री बने डॉ0 सोमेन्द्र तौमर से जब गोश्त के अवैध कारोबार के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होने अफसरों की मिलीभगत स्वीकारी है. डॉ0 तोमर के मुताबिक बिना अफसरों के गठजोड़ से यह कारोबार संभव नही. सबकी जांच होगी. बिजली विभाग के उन अफसरों की भी जांच होगी जिन्होने बंद पड़ी अवैध फैक्ट्री को बिजली कनैक्शन दिया. कार्रवाई ऐसी होगी जो अफसरों के भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट होगी और नजीर बनेगी.

Related Articles

Back to top button