देश में फुटपाथ पर रह रहे बच्चों के पुनर्विस्थापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई करते हुए राज्यों द्वारा सड़कों और फुटपाथों पर रह रहे बच्चों की जानकारी पोर्टल पर अपडेट न करने पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि बीते दो साल से हम कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन या किया जाए, सभी राज्यों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना और जिन दूसरी दिक्कतों का सामना हम कर रहे हैं वह ऐसे बच्चों के लिए उससे कहीं ज्यादा है जिनका कोई देखभाल करने वाला नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह सड़कों पर रह रहे बच्चों की पहचान करने के बिना किसी देरी के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी सगठनों की सहायता लेने और बाल स्वराज पोर्टल पर सभी चरण की जानकारी अपलोड करने का निदेश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से जल्द सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए नीतिगत निर्णय लेने को कहा है। एनसीपीसीआर की बैठक में बच्चों के पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से मामले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के दौरान सड़कों और सड़कों पर रह रहे बच्चों की स्थिति और पुनर्विस्थापन के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान ASG केएम नटराज ने कोर्ट को बताया कि राज्यो द्वारा पुनर्विस्थापन के लिए बच्चो का विवरण बाल स्वराज पोर्टल पर नही डाला जा रहा हैं। मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि हम मामले में गंभीरता से काम कर रहे हैं 3000 बच्चों को अब तक चिन्हित किया गया है पोर्टल पर उपलब्ध डाटा रियल टाइम डाटा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब मामले की सुनवाई शुरू हुई थी तब आपने कहा था कि 70 हज़ार बच्चे दिल्ली की सड़कों पर रहते हैं अब आप कह रहे हैं कि महज 400 बच्चे सड़कों पर रह रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि 2015-16 में एक एनजीओ ने 30000 बच्चों को चिन्हित किया था जो सड़कों पर रह रहे हैं हम ऐसे बच्चों को चिन्हित करने की कोशिश कर रहे हैं इसके लिए हमने जिला स्तर की टीम लगाई है जो भीख मांगने वाले और सड़कों पर रहने वाले बच्चों को पहचान कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार ने बताया कि ऐसे 109 बच्चों को चिन्हित करने के बाद शेल्टर होम रखा गया है। गुजरात सरकार ने बताया कि ऐसे 1990 बच्चों को चिंहित किया गया है और उनको मौजूदा सरकारी स्कीम के तहत लाभ दिया जा रहा है।